गाजीपुरसाहित्य

बन के नेता नया गुल खिलाते रहे, भाषणों से हमेशा रिझाते रहे…

— एस .एस.पब्लिक स्कूल में चेतना प्रवाह कार्यक्रम के तहत सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन

गाजीपुर।‘साहित्य चेतना समाज’ के तत्त्वावधान में चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के अन्तर्गत एस.एस.पब्लिक स्कूल बवाड़ा के सभागार में एक सरस कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया। अध्यक्षता इण्टरमीडिएट कलेज खालिसपुर के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य वीरेन्द्र सिंह एवं संचालन नवगीतकार डॉ.अक्षय पाण्डेय ने किया। गोष्ठी का शुभारंभ कवि एवं अतिथिगण के द्वारा माॅं वीणापाणि की प्रतिमा पर पुष्पार्चन एवं दीप-प्रज्वलन के साथ ही महाकवि कामेश्वर द्विवेदी की वाणी-वंदना से हुआ। इस काव्यायोजन के प्रथम कवि के रूप में  युवा कवि चिदाकाश सिंह ‘मुखर’ ने “मोहब्बत में हृदय अपना, अर्पण कर गई मुझको/मेरी गोदी में सर रख, समर्पण कर गई मुझको” सुनाकर ख़ूब प्रशंसा अर्जित की।

इसी क्रम व्यंग्य-कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी भोजपुरी की सशक्त व्यंग्य-कविता “रहलन बड़ा नियरे अब दूर हो गइलन/सुनीलाॅं कि बापू अमीर हो गइलन” सुना कर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया। युवा नवगीतकार डाॅ.अक्षय पाण्डेय ने देश  में चुनाव की वर्तमान दशा को केंद्र में रखते हुए अपना ‘किसको दूॅं मैं वोट’ शीर्षक नवगीत “तलघर में गहरी सुरंग है/क्या होगा तालों से/कुछ भी बचता नहीं यहाॅं पर/बड़े पेट वालों से/मची हुई है छीना-झपटी/पूरी लूट-खसोट” सुना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करते हुए तालियाॅं बजाने के लिए विवश किया। गोपाल गौरव ने अपनी ग़ज़ल “कहीं मस्जिद कहीं शिवाला है/फिर भी होता नहीं उजाला है/खोट साकी में है नहीं गौरव/ तेरे हाथों में उल्टा प्याला है” प्रस्तुत कर अतीव प्रशंसा अर्जित की।संस्था के संस्थापक एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने चर्चित व्यंग्य-कविता ‘जाऊॅं विदेश तो किस देश’ की पंक्तियां “यहीं करूॅंगा राजनीति का करोबार/देश में अपने अच्छा चलेगा यह व्यापार” सुनाकर अतीव प्रशंसा अर्जित की। कवि हरिशंकर पाण्डेय ने अपना गीत “शब्द-शब्द शूल हो गए आज के जमाने में/खुद में मशगूल हो गए खो गए  कमाने में” सुनाकर ख़ूब वाहवाही अर्जित की।कवि कन्हैया गुप्त ‘विचारक’ ने अपनी कविता “पढ़ने का है समय कीमती/मत चुराओ अपना मन/इसकी चोरी जीवन खाये/
मुरझा जाता है उपवन”सुना कर ख़ूब वाहवाही पायी।

नगर के वरिष्ठ ग़ज़लगो नागेश मिश्र ने अपनी ग़ज़लों के उम्दा शेर प्रस्तुत कर अतिशय प्रशंसा अर्जित की,बतौर बानगी-“कुछ दिल के कुछ दुनिया के नज़ारे होते हैं/शेर सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं इशारे होते हैं” इसी क्रम में हास्य-व्यंग्य के वरिष्ठ कवि विजय कुमार मधुरेश ने हास्य-रचनाओं से श्रोताओं को खूब हॅंसाया साथ ही अपना मुक्तक “बन के नेता नया गुल खिलाते रहे/ भाषणों से हमेशा रिझाते रहे” सुनाकर श्रोताओं की खूब प्रशंसा पाई।ओज के वरिष्ठ कवि दिनेश चंद्र शर्मा ने शहीदों को याद करते हुए अपनी कविता “लेगा जमाना खून के एक-एक बूंद का बदला/कातिल को कत्लेआम से थकने तो दीजिए”सुनाकर श्रोताओं में ओजत्व भर दिया।कवि रामपुकार सिंह ‘पुकार’ ने अपनी कविता”वसंत आए तो मन भी वसंत हो जाए/प्रकृति से प्रेम मन ही मन अनंत हो जाए।”सुनाकर ख़ूब तालियाॅं बटोरी।अन्त में नगर के वरिष्ठ महाकाव्यकार एवं इस कविगोष्ठी के अध्यक्ष कामेश्वर द्विवेदी ने अपनी छान्दस कविता “मंजरी मरंद गंध उड़ती पवन संग
धरती है रंग जाती वासंती रंग में/
भ्रमरों की गूंज और मीठी कूक कोकिलों की
भर देती अमित उमंग अंग-अंग में” सुना कर वातावरण को वसंतमय कर दिया।
         इस सरस काव्यगोष्ठी में श्रोता के रूप में प्रमुख रूप से संस्था के संगठन सचिव प्रभाकर त्रिपाठी, विनोद उपाध्याय,भगवती प्रसाद तिवारी,योगेन्द्र सिंह, प्रदीप सिंह,रामकृत यादव, ज्योति भूषण,विनय सिंह, अनिल चौबे, विशाल गुप्ता,राजन सिंह,सुरेश यादव,वृजनाथ यादव,अंजनी कुमार आदि उपस्थित रहे।अन्त में संस्था के संस्थापक अमरनाथ तिवारी ‘अमर’ ने आगंतुक कवियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया।

       

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