मिर्जापुर: चितविश्राम से नगर के बूढ़ादेई प्रवेश मार्ग निर्माण के अभाव में बहा रहा आंसू

तारा त्रिपाठी(मीरजापुर)।चिरप्रतीक्षित मांग के बावजूद चितविश्राम से नगर के बूढ़ादेई तक को जाने वाला प्रवेश मार्ग निर्माण के अभाव में आज तक आंसू बहाने को मजबूर है। यह मार्ग वर्षों से ध्वस्त पड़ा है। इसके निर्माण की बार-बार मांग इसलिए उठती रही कि इसी मार्ग से प्रसिद्ध मां भण्डारी देवी धाम जाने का रास्ता है। इसी पर विद्यालय, पंचायत भवन, पशु चिकित्सालय, हाइडिल और आस-पास बस्तियां भी हैं। इस मार्ग पर सैकड़ों ट्रकों, हाइवा गुजरती रहतीं हैं। इतना ही नहीं श्रद्धालुओं का भी आवागमन बना रहता है। कई दुकानें भी इसी मार्ग पर स्थित है। इस पर वाहन क्या पैदल चलना भी दूभर है। आने-जाने वालों को मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। जगह-जगह गढ्ढे हो जाने से कई बार मोटरसाइकिल वालों को गिरकर घायल होते भी पाया गया है। ज्ञातव्य हो कि इस मार्ग के निर्माण के लिए मुख्य अभियन्ता (विकास)लोक निर्माण लखनऊ से स्वीकृति प्राप्त हो गई थी और धन भी अवमुक्त कर दिये जाने की बात बताई गई थी किन्तु सारी चीजें ढाक के तीन पात साबित हुईं ।लोग आज तक इसके निर्माण की बाट जोहते चले आ रहे हैं। पिछले दिनों जिलाधिकारी मीरजापुर पवन कुमार गंगवार का अहरौरा बांध के निरीक्षण के लिए अहरौरा बांध पर आगमन के दौरान वरिष्ठ पत्रकार आत्मा प्रसाद त्रिपाठी द्वारा चिरप्रतीक्षित इस मार्ग के निर्माण बात उठाए जाने पर जिलाधिकारी महोदय ने अपने मातहत व सीआर को निर्देशित किया था कि शीघ्र इसकी जांच कराकर स्टिमिट तैयार कराओ और मैं जल्द-से-जल्द निर्माण को अन्जाम देता हूं। आपके आदेश के लगभग एक पखवारा बीत जाने के बाद भी आज तक इस मार्ग के निर्माण के लिए कोई पहल ही नहीं किया गया। मार्ग अब भी ध्वस्त दशा में ज्यों का त्यों पड़ा हुआ है और लोग आये दिन गढ्ढायुक्त इस मार्ग पर दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। जब इस मार्ग के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई थी और समाचार प्रकाशित हुआ था तो श्रेय लेने वालों का सीना चौड़ा हो गया था। अब जब निर्माण अधर में है तो श्रेय लेने वालों के हांथ पैर फूल गये हैं और उन्हें सांप सूंघ गया है। इस संबंध में एकसीएन से बात करने पर बताया गया कि कुछ टेक्निकल गड़बड़ी हुई है इसे शीघ्र दुरुस्त कर निर्माण शुरू करा दिया जायेगा किन्तु यह प्रयास भी असफल साबित हुआ।इस मार्ग पर बसे हुए गांव के लोगों में काफी आक्रोश है कभी भी यह आक्रोश आन्दोलन में तब्दील हो सकता है। जनता सड़क पर उतर सकती है।




