
यह हमारी साझी संस्कृतिक पहचान का जीवंत दस्तावेज है: प्रोफेसर उत्तमा दीक्षित
सुशील कुमार मिश्र/वाराणसी
“इकोस ऑफ खजूराहों” प्रदर्शनी का भव्य उद्घाटन, कला और आध्यात्मिकता का अनूठा संगम
दृश्य कला संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित प्रदर्शनी “इकोस ऑफ खजूराहों” का आज अहिवासी कला वीथिका में संकाय प्रमुख प्रो० उत्तमा दीक्षित के मुख्य आतिथ्य में भव्य उद्घाटन हुआ। इस कार्यक्रम में संकाय के 20 पूर्व एवं वर्तमान छात्रों की कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया, जो खजुराहो की कलात्मक विरासत और वाराणसी की आध्यात्मिक गरिमा के बीच एक सांस्कृतिक सेतु का प्रतीक है। इन छात्रों की लगभग 200 चित्र प्रदर्शित किए गए है जो जलरंग, एक्रेलिक, पेंसिल एवं चारकोल माध्यम में विभिन्न चित्रतलो जैसे हैंडमेड, फैब्रियानों, आइवरी, केन्सन तथा कैनवास पर उकेरे गए है।संकाय प्रमुख प्रो० उत्तमा दीक्षित ने अपराह्न 2:00 बजे प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए कहा, “यह प्रदर्शनी न केवल खजुराहो की कालजयी कला को दर्शाती है, बल्कि युवा कलाकारों की संवेदनशीलता और नवाचार को भी उजागर करती है। यह हमारी साझी सांस्कृतिक पहचान का जीवंत दस्तावेज़ है।
प्रदर्शनी के क्यूरेटर एवं सहायक आचार्य डा० सुरेश चंद्र जांगिड़ ने इसे “अद्भुत” बताते हुए कहा कि “छात्रों की रचनाएँ केवल चित्र नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के प्रति एक सृजनात्मक श्रद्धांजलि हैं। इनमें खजुराहो की मूर्तिकला का उत्कर्ष और काशी की आध्यात्मिकता का समन्वय है।प्रतिभागी श्री प्रवीण पटेल, मिथिलेश प्रसाद मेली, पवन चौरसिया, रोहित शर्मा, शिवम सरोज सहित संकाय के पूर्व छात्रों की कृतियाँ प्रदर्शनी की मुख्य आकर्षण हैं। इनके कार्यों को संकाय प्रमुख ने “ध्यानपूर्वक देखा” तथा “सृजनात्मक उत्कृष्टता” की सराहना की।
यह प्रदर्शनी दोनों नगरों—खजुराहो और वाराणसी—के बीच एक दार्शनिक संवाद स्थापित करती है। प्रो० उत्तमा दीक्षित के अनुसार, “कला ईश्वर की खोज का मार्ग है, और ईश्वर स्वयं कला का आदिस्रोत। यह प्रदर्शनी हमें याद दिलाती है कि हमारी विविधताएँ ही हमारी सामूहिक शक्ति हैं।” प्रदर्शनी में छात्रों को अपनी प्रतिभा वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने का अवसर मिला है। इससे न केवल विश्वविद्यालय की गरिमा बढ़ी है, बल्कि कला के माध्यम से ज्ञान, शिक्षा और प्रेरणा का नया संवाद भी शुरू हुआ है। उद्घाटन समारोह में मुख्य रूप से श्री के0 सुरेश कुमार (छात्र सलाहकार, दृश्य कला संकाय), डा0 महेश सिंह, डा0 सुनील पटेल, श्री कृष्णा सिंह, अनिल शर्मा एवं मानती शर्मा इत्यादि उपस्थित रहें।
प्रत्येक कलाकृति युवा पीढ़ी की नवाचारी सोच और परंपरा के प्रति समर्पण को दर्शाती है। यह प्रदर्शनी आगंतुकों को भारत की कलात्मक विरासत के प्रति विस्मय और नई प्रशंसा से भर देगी। इकोस ऑफ खजूराहों” प्रदर्शनी (दिनांक 19.05.2025 से दिनांक 21.05.2025 तक) सुबह 10:00 बजे से सायं 4:00 बजे तक अहिवासी कला वीथिका, वाराणसी में जनसाधारण के लिए खुली रहेगी।




