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क्राइमवाराणसी

ध्वनि प्रदूषण के शिकायतकर्ता का नाम रहता गुप्त

वाराणसी। ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ अभियान चलाने वाली राष्ट्रीय संस्था ‘सत्या फाउंडेशन’ के संस्थापक सचिव, चेतन उपाध्याय ने आज बुधवार को वाराणसी के सर्किट हाउस में उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) श्री असीम अरुण से मुलाकात करके आठ वर्ष पूर्ण होने की बधाई दी। साथ ही 112 नंबर की गुप्त शिकायत सेवा के लिए धन्यवाद दिया। बता दें कि श्री असीम अरुण ने एक आईपीएस अधिकारी के रूप में ‘सत्या फाउंडेशन’ के सहयोग से ध्वनि प्रदूषण पर कई बार जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया और डायल 112 के एडीजी के रूप में ध्वनि प्रदूषण पर कारगर नियंत्रण योजना बनाने के लिए ‘सत्या फाउंडेशन’ को लखनऊ आमंत्रित किया। ध्वनि प्रदूषण की शिकायतों को लेकर पड़ोसियों में आपस में मारपीट की अनेकों घटनाएं होने पर ‘सत्या फाउंडेशन’ ने हमेशा से यह मांग की थी कि 112 नंबर पर लोग गुप्त रूप से भी शिकायत दर्ज करा सकें। अभी हाल में ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने अपने सॉफ्टवेयर में अपडेट करते हुए ऐसी व्यवस्था बना दी है कि अगर व्यक्ति अपना नाम और नंबर गुप्त रखना चाहे तो उसकी पहचान गुप्त रखी जाती है और दिन के दौरान ध्वनि को कम कराया जाता है और रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक ध्वनि को पूरी तरह से बंद कराया जाता है। प्रदेश के किसी भी जिले से ध्वनि प्रदूषण अथवा किसी भी अन्य अपराध की गोपनीय सूचना मिलते ही 112 मुख्यालय द्वारा लोकल पुलिस को आपका नंबर नहीं, बल्कि एक लिंक दिया जाता है। लिंक पर क्लिक करके शिकायतकर्ता को काल करके लोकल 112 टीम द्वारा अपराध की लोकेशन ली जाती है। लेकिन, लोकल पुलिस के पास शिकायतकर्ता का नंबर नहीं होता और आपस में हिंसा और हत्या की संभावना खत्म हो गई है। हालांकि इस सेवा का व्यापक प्रचार प्रसार अभी बाकी है।

यहां चेतन जी हैं शोर मत मचाओ
जैसे ही श्री असीम अरुण एक कार्यक्रम में जाने के लिए, सर्किट हाउस के कमरे से निकल रहे थे। वैसे ही भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी-असीम अरुण जिंदाबाद के नारे लगाने शुरु कर दिये। श्री असीम अरुण ने उनको टोका और कहा कि आप लोग इस तरह से शोर मत मचाइये, यहां पर चेतन जी हैं। शांति स्थापित होते ही सबके सामने ही पूछा, कितने डेसीबल का शोर रहा होगा, चेतन जी? यह सुनकर चेतन उपाध्याय मुस्कुरा पड़े और उपस्थित लोगों में भी हंसी का फव्वारा फूट पड़ा।

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