देशधर्म

रोजेदारों ने मुकम्मल किया भीषण गर्मी के बीच 12 वां रोज़ा

भीषण गर्मी में हो रहा है रोजादारो का इम्तिहान

सरफराज अहमद

वाराणसी। भीषण गर्मी रोजेदारों का इम्तिहान लेने लगी है। रमजान का पहला अशरा रहमत का जितनी आसानी से ठंडे मौसम के बीच बीता, उसके विपरीत दूसरा अशरा मगफिरत का शुरू होते ही गर्मी अपना रौद्र रूप दिखाने लगी। आलम यह है की तीन दशक का गर्मी का रिकॉर्ड टूट गया। बनारस समेत पूर्वांचल में तीखी धूप के बीच चली हवा मई के लू जैसी परेशान करती दिखी। इस चिलचिलाती धूप ने शहर का अधिकतम तापमान 37.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा दिया। बीते तीन दशक में पहली बार15 मार्च से पहले बनारस का तापमान इतना ज्यादा बढ़ा है। 1991 से 2024 के बीच में 2018 में अधिकतम तापमान 37.5 डिग्री था। वहीं बुधवार को झांसी (39.3) के बाद बनारस यूपी का दूसरा सबसे गर्म शहर बन गया है। इससे आम जनमानस के साथ ही रोजेदारों का भी कड़ा इम्तिहान शुरू हो गया है। भीषण गर्मी के बीच रोजेदारों ने मस्जिदों से आयी, अल्लाह हो अकबर…की गूंज पर रमज़ान का 12 वां रोज़ा मुकम्मल किया।

बनारस शहर का तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री ऊपर चला गया। इतना पारा संकेत दे रहा है कि बहुत जल्द ही बनारस हीट वेव की चपेट में आ सकता है। दिन में गर्मी ऐसी है कि घर की दीवारें, छत और सड़कें भी जलने लगीं हैं। यूपी आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार सिंह ने कहा कि बनारस में रेडिएटिव हीटिंग हो रही है। यानी कि सूर्य से आने वाले पूरे शॉर्ट वेव रेडिएशन को धरती अवशोषित कर ले रही है। जल्द ही हीट वेव से तापमान 40 डिग्री के ऊपर जाएगा।

डॉ. सिंह ने कहा कि पहली बार देखा गया है कि मार्च के पहले पखवाड़े में इतना ज्यादा तापमान गया हो। इसके पीछे दो प्रमुख वजह बताई। पहला पश्चिमी विक्षोभ के न आने से न तो बादलों की आवाजाही है और न ही तेज हवा या बारिश जैसी स्थिति बन रही है। दूसरी ओर मध्य भारत में एंटी साइक्लोनिक स्थितियों की वजह से भी बारिश का न होना और हवा काफी धीमी गति से चल रही है। इसके चलते मौसम साफ रहा।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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