धर्म

पूरे रमज़ान मोमिन को चाहिए वो तरावीह करें अदा

मस्जिद "उल्फत बीबी" काशी विद्यापीठ में तरावीह मुकम्मल

सरफराज अहमद

वाराणसी। पूरे रमज़ान भर मोमिन को चाहिए कि वो तरावीह की नमाज़ अदा करें। मस्जिदों में 5 दिन, 7, दिन, 10 दिन व 15 दिन वगैरह की जो तरावीह मुकम्मल करायी जाती है। उसमें एक कुरान मुकम्मल होता है। उसके बाद भी पूरे महीने सूरे तरावीह होती है जिसका अदा किया जाना जरूरी है। यह बातें 11 रमज़ान उल मुबारक को मस्जिद उल्फत बीबी काशी विद्यापीठ में ख़त्मे तरावीह के मौके़ पर बयान करते हुए सदर मुफ्ती बोर्ड बनारस मौलाना अब्दुल हादी खान हबीबी ने अपनी तकदीर में कही। उन्होंने रमज़ान की नेमतों, इबादतों पर भी रौशनी डाली। उन्होंने हाफ़िज़ शादाब को तरा़वीह मुकम्मल करने पर मुबारकबाद दी।

इस मौके पर सदर क़ाज़ी ए शहर बनारस मौलाना हसीन अहमद हबीबी और दिगर उल्लेमा ए केराम ने ज़िम्मेदार हज़रात की मौजूदगी में पूरे वताने अज़ीज़ मुल्के हिंदुस्तान के लिए अमनो-सलामती की दुआएं की। सलातो सलाम और फातिहा संग एखतेताम हुआ। इस मौके पर तमाम लोगों ने हाफ़िज़ मोहम्मद शादाब को फूल मालाओं से लाद दिया।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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