एजुकेशन

लोक कलाओं पर अध्ययन के क्षेत्र में विस्तार की जरूरत- प्रो. बद्री

डीएवी में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज में आईसीएसएसआर के सहयोग से अंग्रेजी विभाग एवं आईइडीएस के संयुक्त तत्वावधान में वाराणसी के कल्चरल कॉरिडोर पर कला, क्राफ्ट, लोक कला पर केंद्रित अध्ययन के दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का शुक्रवार को समापन हुआ। मुख्य अतिथि जीबी पंत संस्थान, प्रयागराज से आये प्रो. बद्री नारायण ने लोक कलाओं पर अध्ययन के क्षेत्र में विस्तार की बात कही। उन्होंने कहा कि लोक कला और संस्कृति में अभी भी बहुत से पक्ष अछूते है जिन पर वृहद शोध की आवश्यकता है। कार्यशाला में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की एमेरिटस प्रोफेसर डॉ. नीता कुमार ने संस्कृति के विविध पक्षो पर विचार रखते हुए भारतीय परंपरा में पारिवारिक मूल्यों के महत्व को साझा किया। अध्यक्षता प्रो. अर्चना कुमार ने किया। प्रो.पंचानन दलाई, डॉ.वारदा सम्बुल आदि ने भी विचार रखे। संयोजिका डॉ. महिमा सिंह ने रिपोर्ट प्रस्तुत किया। स्वागत प्रो. इंद्रजीत मिश्रा एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रियंका सिंह ने दिया। संचालन संस्कृति पाण्डेय एवं श्रीयुक्ता बासनेट ने किया। शुभम ने सहयोग किया।

विश्व दर्शन दिवस पर संगोष्ठी का आयोजन

वाराणसी। विश्व दर्शन दिवस के अवसर पर शुक्रवार को डीएवी पीजी कॉलेज में दर्शनशास्त्र विभाग के तत्वावधान में राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रो. गोपाल साहू ने कहा कि दर्शनशास्त्र जीवंत मानवता का मूल मंत्र है, यह स्वयं से साक्षात्कार कराने वाली विद्या है। अध्यक्षता करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो. दुर्गेश चौधरी ने कहा कि दर्शन जीवन से संदेह दूर कर सत्य से अवगत कराता है। डॉ. राहुल मौर्य ने कहा कि मानवीय मूल्यों और आदर्शों को ढूंढने में दर्शन की महत्वपूर्ण भूमिका है।

कार्यकारी प्राचार्य प्रो. मिश्रीलाल ने स्मृति चिन्ह प्रदान कर अतिथियों का स्वागत किया। स्वागत भाषण प्रो. सतीश सिंह, विषय प्रवर्तन डॉ. संजय सिंह, संचालन डॉ. संजीव वीर सिंह प्रियदर्शी एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रमेन्द्र सिंह ने दिया। इस मौके पर डॉ. अनामिका यादव, डॉ. शिवनारायण, डॉ. नजमुल हसन आदि शामिल थे।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button