
वाराणसी । काशी के प्राचीन पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर, काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष बालक दास को महाकुम्भ में जुटे अखाड़ों के संतों एवं महंतों ने विधि-विधान से महाकुम्भ प्रयागराज में अखिल भारतीय श्रीपंच तीनों अनी अखाड़ा चतुः सम्प्रदाय निर्वाणी अखाड़ा में पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास का श्रीमद् जगद्गुरु नरहर्यानन्द द्वाराचार्य का पट्टाभिषेक कर जगद्गुरु घोषित किया गया।
बालक दास सनातन संस्कृति के ऐसे संवाहक हैं जो जाति धर्म के भेद को नहीं मानते हैं। अपने मठ का दरवाजा उन्होंने सबके लिये खोल दिया। इसलिए गुरुपूर्णिमा पर उनके यहां हिन्दू और मुसलमान सभी लोग पहुँचते हैं। बालक दास जी सामाजिक आन्दोलन में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। जब तीन तलाक का आन्दोलन मुस्लिम महिलाएं चला रही थीं तब बालक दास जी ने खुलकर मुस्लिम महिलाओं का समर्थन किया। मुस्लिम महिलाओं ने पातालपुरी मठ में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ किया।
पिछले रामनवमी पर बालक दास जी ने सुभाष भवन में रामपंथ के माध्यम से 1100 मुसहर, आदिवासी, दलित परिवार को दीक्षा दिया और 501 दलितों को दीक्षित कर पुजारी बनाया। रामपंथ के माध्यम से आदिवासी एवं दलित परिवार में श्रीराम परिवार भक्ति आन्दोलन चला रहे हैं। बालक दास जी विशाल भारत संस्थान के सामाजिक आन्दोलनों से भी जुड़े हुए हैं। सामाजिक और धार्मिक क्रांति के अगुवा बालक दास जी अब जगद्गुरु हो गए। सनातन संस्कृति के संरक्षण में बालक दास जी ने प्रमुख भूमिका निभाई। अब वे दुनियाँ में श्रीराम परिवार भक्ति आन्दोलन के माध्यम से सांस्कृतिक पुनर्जागरण के लिये काम कर रहे हैं।
जगद्गुरु के रूप में प्रतिष्ठित होने पर बालक दास के काशी आगमन की तैयारी हो रही है। उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने बताया कि जगद्गुरु 31 जनवरी को पहले सुभाष भवन पहुँचेंगे, जहां वनवासी समाज के बच्चे और दलित समाज की महिलाएं उनका अभिनन्दन करेंगी। फिर वो पातालपुरी मठ जाएंगे।