साहित्य जीवन की साधना और जीवन का समाधान है : प्रो.श्रीनिवास सिंह
गाजीपुर । हिंदू स्नातकोत्तर महाविद्यालय जमानियां में हिंदी विभाग एवं शोध अध्ययन केन्द्र के तत्वाधान में “साहित्य निर्माण की प्रक्रिया” शीर्षक पर विचार गोष्ठी आयोजित हुई। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि महाविद्यालय के पूर्व छात्र साहित्यकार राम पुकार सिंह, एवं विशिष्ट अतिथि सौरभ साहित्य परिषद के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र सिंह कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राम पुकार सिंह विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह को पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया।इस अवसर पर पूर्व छात्र राम पुकार सिंह “पुकार ग़ाज़ीपुरी” ने अपने वक्तव्य में कहा कि ” साहित्य और समाज का अन्योन्याश्रित सम्बन्ध होने की वजह से यह समाज की संस्कृति का संवाहक है,अगर और भी स्पष्ट शब्दों में कहें तो हम कह सकते हैं कि साहित्य संस्कृति का संवाहक ही नहीं बल्कि संरक्षक भी है। साहित्यिक कृतियों के अभाव में दूर-दर्शन अथवा दूसरे दृश्य माध्यमों द्वारा विकृत की जा रही संस्कृति को बचाने का सन्देश भी साहित्य द्वारा ही दिया जा सकता है।इसे कविता, गजल या कहानी के माध्यम से आने वाली नई पीढी़ को जो पठनीयता के अभाव जीने को अभिशप्त सी होती जा रही है। वरिष्ठ साहित्यकार राजेंद्र सिंह ने कहा कि बाबू रामपुकार सिंह विज्ञान के विद्यार्थी होते हुए भी साहित्य में सफल हस्तक्षेप करते हैं जो सराहनीय है। हम लोगों का उद्देश्य बस इतना है कि साहित्य समाज का दर्पण भी है, तर्पण भी है, अर्पण भी है और समर्पण भी है। साहित्य बचा रहेगा तो संवेदना बची रहेगी और मनुष्यता बची रहेगी। महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. श्रीनिवास सिंह ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि साहित्य जीवन की साधना और जीवन का समाधान है। वास्तव में समाज में संवेदना तभी व्याप्त हो सकेगी जब साहित्य को अंतर्रात्मा से ग्रहण किया जाए।कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.अखिलेश कुमार शर्मा ‘शास्त्री’ ने तथा धन्यवाद ज्ञापन रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.अरुण कुमार ने किया।इस मौके पर अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ.राकेश कुमार सिंह भौतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.महेन्द्र कुमार, कृतकार्य आचार्य डॉ.मदन गोपाल सिन्हा और प्रदीप कुमार सिंह सहित छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।