बाल कविता,घर की शान बढ़ती झाड़ू
घर की शान बढ़ाती झाड़ू
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सबको स्वच्छ बनाती झाड़ू ।
घर की शान बढ़ाती झाड़ू ।।
सुबह सुबह उठ अंदर बाहर,
मम्मी रोज लगातीं झाड़ू ।
ताड़ नारियल व खजूर की,
सुंदर सी बन जाती झाड़ू ।
घास प्लास्टिक कांसे की भी,
नए ढंग की आती झाड़ू ।
बहुत गंदगी हो जाती जब,
क्षण भर में चमकाती झाड़ू ।
दूर गंदगी औरों की कर,
खुद गंदी हो जाती झाड़ू ।
साफ सफाई करने में पर,
कभी नहीं शर्माती झाड़ू ।
मन की साफ गन्दगी कर लो,
बच्चों को सिखलाती झाड़ू ।
‘सदा स्वछता ही सेवा’ का,
उज्ज्वल पाठ पढ़ाती झाड़ू ।
~राम नरेश ‘उज्ज्वल
उज्ज्वल सदन
मुंशी खेड़ा,(अपोजिट एस-169
ट्रांसपोर्ट नगर), एल.डी.ए. कालोनी,
लखनऊ-226012