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लखनऊ: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में  राष्ट्रीय संगोष्ठी 13 नवंबर को

वाल्मीकि रामायण की वर्तमान समय में प्रासंगिकता विषय पर होगा आयोजन

लखनऊ।ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग एवं इतिहास संकलन समिति अवध प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में “वाल्मीकि रामायण की वर्तमान समय में प्रासंगिकता” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। इस संगोष्ठी में वाल्मीकि रामायण: साहित्यिक स्रोत (महाकाव्य काल),” वाल्मीकि रामायण में लोक जन जीवन,” “भारतीय सिनेमा एवं फोटोग्राफी में वाल्मीकि रामायण,” तथा “वाल्मीकि रामायण में वनस्पतियों एवं जीव-जंतुओं की विविधता” जैसे महत्वपूर्ण उपविषयों पर देशभर के वरिष्ठ इतिहासकार, विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ, एवं शोधार्थी चिंतन–मनन करेंगे।संगोष्ठी की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर अजय तनेजा कर रहे हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय सह संगठन सचिव श्री संजय श्रीहर्ष मिश्र होंगे।अति विशिष्ट अतिथि के रूप में लखनऊ विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज अग्रवाल तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में एसजीपीजीआई  लखनऊ के रजिस्ट्रार एवं राष्ट्रपति द्वारा विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित कर्नल वरुण वाजपेई उपस्थित रहेंगे।साथ ही, इतिहास संकलन समिति अवध प्रांत की अध्यक्ष प्रोफेसर प्रज्ञा मिश्रा तथा इग्नू रीजनल सेंटर, लखनऊ की क्षेत्रीय उप निदेशक डॉ. अनामिका सिन्हा भी अपने विचार प्रस्तुत करेंगी।संगोष्ठी को सफल बनाने के लिए इतिहास विभाग की प्रभारी डॉ. पूनम चौधरी, इतिहास संकलन समिति अवध प्रांत के प्रचार प्रमुख डॉ. मुकेश कुमार, सहायक आचार्य डॉ. मनीष कुमार, डॉ. राजकुमार सिंह, डॉ. लक्ष्मण सिंह, तथा शोधार्थी पूजा यादव, अंकिता श्रीवास्तव, अशद एवं रौनक सहित पूरी टीम दिन-रात कार्य कर रही है।यह संगोष्ठी भारतीय संस्कृति, इतिहास एवं साहित्यिक परंपराओं के गहन अध्ययन और समकालीन सन्दर्भों में रामायण के महत्व को पुनः स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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