

ब्रह्मर्षि वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा आयोजित ब्रह्मर्षि महासभा सकुशल संपन्न,चर्चाएं हुई तेज
गोपालगंज।जिला मुख्यालय स्थित एक निजी मैरेजहॉल में ब्रह्मर्षि वेलफेयर एसोसिएशन गोपालगंज के द्वारा ब्रह्मर्षि वैदिक महासभा का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता ब्रह्मर्षि वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष जयराम सिंह और संचालन रजनीश राय ने की।राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष कामेश्वर राय कमलेश ने भूमिहार ब्राह्मण समाज के अतीत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हमारा समाज राष्ट्र जागरण का पुरोहित रहा है। हम सभी को एक जुट होकर ये संकल्प लेना चाहिए। हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी संगठित होकर रहने का सबक सिखा जाएँ।राष्ट्रीय कार्यवाहक महासचिव जितेन्द्र राय बबलू ने संगठन के विस्तार पर खुशी जाहिर कर संगठन की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए बताया कि आज हमारे संगठन द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी सेवाओं के विस्तार की योजना पर काम कर रहे है।ब्लड डोनेशन,नि:शुल्क कोचिंग,रोजगार के अवसर अपने समाज को उपलब्ध कराने की दिशा में अग्रसर है।निरंतर इस दिशा में कार्य योजनाएं बनाई जा रही है। समाज एक जुट होकर संकल्पित हो तो जल्दी ही धरातल पर योजनाओं का क्रियांवयन होने की उम्मीद है।राष्ट्रीय कार्यवाहक महासचिव ने स्पष्ट शब्दों में बिहार एवं अन्य सभी प्रदेशों को यह संदेश देने के क्रम में राजनैतिक रूप से साथ और सहयोग का हवाला देते हुए कहा कि जो हमारा सम्मान करेगा हमारा समाज भी उसी का सम्मान करेगा। उनका कहना था कि यदि आप हमारे समाज के अस्तित्व को तिरस्कारपूर्वक प्रस्तुत करते हैं तो निश्चित रूप से आप भी तिरस्कृत होने के लिए तैयार रहियेगा।मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित स्थानीय विधान परिषद सदस्य राजीव कुमार सिंह उर्फ गप्पू बाबू ने किसी भी परिस्थिति में अपने समाज को साथ लेकर चलने का आह्वान किया।जिलाध्यक्ष जयराम सिंह ने आये हुए सभी पदाधिकारियों एवं संरक्षक मंडल का आभार ब्यक्त करते हुए जनपद के तमाम भूमिहार ब्राह्मण समाज को एक जुट होकर संगठित होने का आह्वान किया।सभी उपस्थित सदस्यों ने यह संकल्प लिया कि अब ब्राह्मर्षि समाज को शिक्षा,जागरूकता और संगठित प्रयासों के माध्यम से मुख्यधारा से जोड़कर नया इतिहास रचा जाएगा। बैठक में प्रमुख वक्ताओं के अलावा राष्ट्रीय सचिव दुर्गेश राय,अंकूर बाबू,मुकुल राय, गुड्डू राय,राजा बाबू, हरिनारायण सिंह, उमेश प्रधान, गिरीश राय, दुर्गा राय,उमेश शाही, गप्पू शाही के साथ उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से आये हुए हजारों ब्रह्मर्षियों क़ी उपस्थिति रही।




