मिर्जापुर: बांध में पानी की वृद्धि रुकी,परेशानियां अब भी बरकरार, चौपट हुई फसल की मुवावजे की मांग

तारा त्रिपाठी (मीरजापुर)।पिछले कई दिनों से हो रही लगातार बारिश से बांध के जलस्तर में वृद्धि के बाद आज पानी का आवक कम हुआ। बाढ़ से प्रभावित गांव लकुरा, बीबी पोखर, मदारपुर, बिकसी, मनउर, ढेलवासपुर, नन्दपुर, भोकरौध, ओड़ी, जमालपुर,में थोड़ा राहत महसूस किया गया किन्तु बाढ़ के बाद पानी से सब्जियां, धान की फसल बर्बाद होने से किसान आर्थिक रूप से कमजोर महसूस कर रहा है।अहरौरा बांध से कई बार पानी छोड़े जाने से क्षेत्र के दर्जनों से अधिक गांव के सैकड़ों एकड़ में बोई गई फसल डूबने से किसानों को गहरा आघात लगा है। चेतावनी बिन्दु 360फीट के करीब पानी पहुंचने से पहले खोले गये बांध के फाटक से पानी की निकासी की गई जिससे उसके जद में आये गांव बाढ़ की चपेट में आये। अब पानी स्थिर है और वृद्धि रुका हुआ है किन्तु परेशानियां अब भी बनी हुई है। गांव, गलियां कीचड़युक्त हो गई हैं। गंदगी व्याप्त हो गई है। सड़ान्ध से दुर्गन्ध आ रही है। बीमारियों के फैलने की आशंका जताई जा रही है। पशुओं के चारे के लाले पड़े हुए हैं। जगह-जगह जमें पानी का निकास नहीं हो पा रहा है। गरीबों के गिरे कच्चे मकान में रहने की भारी समस्या बन गई है। बोई गई सब्जियां बर्बाद है। कहीं कहीं की टूटीं सड़के आवागमन में बाधक बन रहीं हैं। चौपट फसलों का मुआवजा न मिलने से किसानों में मायूसी छाई हुई है। खेतों में लगाये गये मक्का, मूंगफली, तिल्ली, उतैला, मिर्च, पपीता, मूंग, उर्जावान,कोहड़ा, टमाटर, लौकी परवल, करैला, बैगन आदि बाढ़ के पानी में डूबने से बर्बाद हो गये हैं। शासन, प्रशासन से यह आश्वासन दिया गया था कि बाढ़ का पानी हटने के बाद तुरन्त बर्बाद हुई फसलों का मुआवज़ा दिलवाया जायेगा। अब तक मुआवज़ा न मिलने से किसान मायूस है। समाजसेवी प्रमोद केशरी और वरिष्ठ प्रत्रकार आत्मा प्रसाद त्रिपाठी ने जन प्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए बाढ़ से हुई किसानों की फसल की क्षतिपूर्ति शासन से कराने की मांग की है।




