संभल मस्जिद प्रकरण पर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्रक
वाराणसी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम के निर्देश पर आज वाराणसी में कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के जिला/ महानगर अध्यक्ष डॉ. मुनीर सिद्दीकी, अब्दुल हमीद टुडे के नेतृत्व में संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को महज मंदिर बताने वाले दावे को जिला अदालत द्वारा स्वीकार करने के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है।
प्रतिनिधि मंडल ने यह पत्र अपर नगर मजिस्ट्रेट तृतीय आनंद मोहन को सौंपा। इस मौके पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव हसन मेहंदी कब्बन ने अपने संबोधन में कहा कि संभल कि ऐतिहासिक जामा मस्जिद को मंदिर बताने वाले दावे को जिला अदालत द्वारा स्वीकार किया जाना पूजा स्थल अधिनियम 1991 का खुला उल्लंघन है। इस अधिनियम में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 तक धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र था वह यथावत रहेगा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन ने कहा कि जिस दिन जिला अदालत में याचिका दायर की गई उसी दिन जिला अदालत ने याचिका स्वीकार भी कर लिया और कुछ ही घंटे बाद मस्जिद का सर्वे कराना भी प्रारंभ कर दिया गया। आखिर अदालत को इतनी जल्दी क्यों थी? जब कानून स्पष्ट तौर पर कहता है कि इस तरह की कोई याचिका किसी कोर्ट में स्वीकार ही नहीं हो सकती तो संभल के जिला अदालत में ऐसी याचिका कैसे स्वीकार कर ली गई। मौके पर प्रतिनिधिमंडल में शामिल लोगों ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश निचली अदालतों के जजों के लिए कार्रवाई सुनिश्चित करें उनसे अनुरोध किया गया है। प्रतिनिधिमंडल में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव फसाहत हुसैन बाबू, अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव हसन मेहंदी कब्बन, मुनीर सिद्दीकी, तौफीक़ कुरैशी, अशोक सिंह एडवोकेट, लक्ष्मेश्वर नाथ शर्मा, बद्रे आलम, आरिफ जमाल, अंश यादव, इरशाद अहमद, शमशेर आलम, रईस अहमद, समीर हैदर, अफसर अहमद सहित काफी लोग उपस्थित थे।