
संदिग्ध मौत पर पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में
हिंदुस्तान संदेश न्यूज/ इमरान अहमद
लखनऊ( काकोरी)। दुबग्गा के मुन्ना खेड़ा की 22 वर्षीय विवाहिता राधा की संदिग्ध हालात में हुई मौत ने इलाके में सनसनी फैला दी है। जहां एक ओर मृतका के पति अंबर लाल ने इसे पेट दर्द का मामला बताया, वहीं मायका पक्ष इसे सुनियोजित हत्या करार दे रहा है। परिजनों के गंभीर आरोपों के बावजूद पुलिस की कार्रवाई में स्पष्टता और तत्परता की कमी एक बार फिर सवालों के कटघरे में है। सोमवार रात की घटना में अंबर लाल ने परिजनों को सूचना दी कि राधा को पेट में तेज दर्द है और वह उसे अस्पताल ले जा रहे हैं। लेकिन जब मायके वाले छंदुइया खेड़ा से बेटी के घर पहुंचे तो राधा मृतप्राय अवस्था में घर के अंदर ज़मीन पर पड़ी थी। भाई सोनू राजपूत का आरोप है कि ससुराल वालों ने राधा की हत्या कर उसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की।
पुलिस की भूमिका संदिग्ध
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर मामला आत्महत्या का था, तो पुलिस को सूचना दिए बगैर फांसी के फंदे से शव को क्यों उतारा गया? क्या यह किसी साक्ष्य को मिटाने की कोशिश थी? पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज तो दिया, लेकिन शुरुआती जांच में लापरवाही साफ झलकती है।
क्या यह एक और दहेज हत्या है?
राधा की मौत ऐसे समय में हुई है जब दहेज हत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। यदि परिजनों के आरोपों में सच्चाई है, तो यह मामला भी उसी भयावह सामाजिक सच्चाई का हिस्सा हो सकता है। पुलिस को चाहिए कि वह निष्पक्षता और पारदर्शिता से जांच करे, ताकि दोषियों को सज़ा और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।
पीड़ित परिजन अंतिम संस्कार रोककर न्याय की मांग पर अड़े
जब तक राधा की मौत की सच्चाई सामने नहीं आती, यह मामला पुलिस की कार्यप्रणाली और महिला सुरक्षा की जमीनी हकीकत को कठघरे में खड़ा करता रहेगा।




