क्राइम

वाराणसी जिला जेल में मिलता है नशे का सामान

कैदियों से होती है उगाही, दो अफसरों के विवाद में खुली पोल

सरफराज अहमद

वाराणसी। बनारस के जिला जेल के जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर के बीच का विवाद नए-नए खुलासे कर रहा है। डिप्टी जेलर ने जेल अधीक्षक पर जेल में बंद बंदियों से लाखों की उगाही करने का आरोप लगाया है. वाराणसी जिला जेल से नैनी जेल ट्रांसफर की गईं मीना कनौजिया ने मीडिया से बातचीत में ये खुलासा किया। मीना कनौजिया ने आरोप लगाया कि जेल अधीक्षक उमेश सिंह बंदियों पर पहले दबाव बनाते हैं और जब वो टूट जाते हैं, तब इनको पैसा पहुंचाते हैं। वाराणसी जिला जेल में कौन सा ग़लत काम नहीं होता। गांजा, भांग, बीड़ी, सिगरेट और पान मसाला सब उपलब्ध हैं। बंदी मेरे सामने गिड़गिड़ाते थे और मुझे इसको लेकर बेहद कष्ट होता था। यही कारण है कि मैंने इन ग़लत हरकतों का विरोध करने का फ़ैसला किया।

मीना कनौजिया के मुताबिक, जब उन्होंने इन गलत कामों का विरोध करना शुरू किया, वहीं से उमेश सिंह के निशाने पर आईं। मुझे घर बुलाने लगे। अकेले में कमेंट करने लगे। यहां तक कि मुझे सार्वजनिक रूप से भी प्रताड़ित करने लगे। मैं अकेले इनकी प्रताड़ना का शिकार हुई हूं ऐसा भी नही है। मुझसे पहले भी एक डिप्टी जेलर रतन प्रिया के साथ भी इन्होंने ऐसा ही किया था।

मीना कनौजिया का आरोप है कि रतन प्रिया के मामले में उमेश सिंह ने मुझ पर दबाव डाला और मैंने जांच समिति के सामने दबाव में आकर उमेश सिंह के पक्ष में बयान दिया। मुझे इस बात का आज तक अफ़सोस होता है। मेरे मामले में भी उमेश सिंह यही कर रहे हैं। इसलिए इनको जब तक सस्पेंड नहीं किया जाता, इंसाफ नही हो सकता।

मीना कनौजिया कहती हैं कि मेरी लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक कि उमेश सिंह को सस्पेंड कर बनारस से हटा नहीं दिया जाता। मेरे ख़िलाफ वाराणसी जिला जेल में षड्यंत्र शुरू हो गया है। बंदियों से कहलवाया जा रहा है कि मीना कनौजिया पैसे लेती थी। ऐसे में उमेश सिंह जेल अधीक्षक रहते न्याय की कल्पना भी नही कर सकती। इसको हटाया जाना इसलिए भी जरूरी है क्यूंकि उमेश सिंह साथी महिला अधिकारियों के लिए खतरा है। सीएम योगी तक मेरी पीड़ा पहुंची है और मुझे उम्मीद है कि मुझे न्याय मिलेगा।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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