
भोजपुरी समालोचना को समृद्ध करने वालों में डॉ.पाठक के प्रयासों की सबने की सराहना
पटना।भोजपुरी की प्रतिष्ठित और शीर्ष संस्था अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन [पटना,बिहार] का 28वाँ अधिवेशन अमनौर (सारण,बिहार) में 29-30 नवम्बर 2025 को होने जा रहा है।इस अधिवेशन में आचार्य महेन्द्र शास्त्री पुरस्कार भोजपुरी के लब्धप्रतिष्ठ समीक्षक कवि डाॅ.सुनील कुमार पाठक को उनकी आलोचना कृति पढ़त-लिखत” के लिए दिये जाने की घोषणा हुई है।भोजपुरी के प्रथम हाइकुकार के रूप में ख्याति अर्जित कर चुके डाॅ.पाठक की एक महत्वपूर्ण हिन्दी आलोचना पुस्तक “छवि और छाप को भी काफी लोकप्रियता प्राप्त हुई है।”पढ़त-लिखत की प्रशंसा प्रसिद्ध कवियन मदन कश्यप डाॅ.रामदेव शुक्ल,डाॅ.ओम निश्चल,डाॅ.सदानंद शाही,डाॅ.जितेन्द्र श्रीवास्तव, डाॅ.चंद्रेश्वर,सूर्यदेव पाठक पराग,डाॅ.अशोक द्विवेदी,भगवती प्रसाद द्विवेदी,प्रो.जयकांत सिंह,जितेन्द्र कुमार,डाॅ.बलभद्र, जैसे कई हिन्दी -भोजपुरी विद्वानों ने की है।यह किताब भोजपुरी काव्यालोचना की दिशा में भोजपुरी साहित्य की समृद्धि को स्पष्ट करने वाली एक उत्कृष्ट कृति है। भोजपुरी और हिन्दी में अपनी कृति ‘नेवान ‘(हाइकु संग्रह),’कविता का सर्वनाम

(हिन्दी कविता संग्रह)उमड़े निबंध मेघ'(हिन्दी निबंधसंग्रह),छवि और छाप; राष्ट्रीयता के आलोक में भोजपुरी कविता का पाठ ‘(हिन्दी आलोचना) ‘पढ़त-लिखत (भोजपुरी आलोचना),’भोजपुरी कविता:रुचि आ रचाव (भोजपुरी आलोचना) आदि डाॅ.पाठक की महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं। डाॅ.सुनील कुमार पाठक को पूर्व में चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह पुरस्कार’,’डाॅ.रसिक बिहारी ओझा ‘निर्भीक’ सम्मान,’डाॅ.कृष्णदेव उपाध्याय सम्मान सहित हिन्दी एवं भोजपुरी साहित्य के दर्जन भर प्रमुख पुरस्कार /सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।डाॅ.पाठक की इस उपलब्धि पर अष्टभुजा शुक्ल, डाॅ.हरेराम त्रिपाठी ‘चेतन’,डाॅ.नीरज सिंह,डाॅ.ब्रजभूषण मिश्र,डाॅ.महामाया प्रसाद विनोद,जितेन्द्र कुमार,प्रकाश उदय,कनक किशोर, तंग इनायतपुरी,भगवती प्रसाद द्विवेदी,कुमार,विरल, डाॅ.संतोष पटेल,मनोज भावुक,केशव मोहन पांडेय,नवीन चंद्रकला कुमार,जे.पी.द्विवेदी आदि साहित्यकारों में खुशी है। इसके लिए उन्हें बधाई और शुभकामनाएँ दी।




