गाजीपुरसाहित्य

प्रख्यात हिंदी साहित्यकार विवेकी राय का जन्म शताब्दी समारोह श्रद्धापूर्वक मनाया गया

डॉ विवेकी राय युग प्रवर्तक साहित्यकार थे-मनोज सिन्हा

प्रख्यात हिंदी साहित्यकार एवं लेखक विवेकी राय का जन्म शताब्दी समारोह आज गाजीपुर के जिला पंचायत सभागार में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, समारोह के अध्यक्ष योगी आनंद जी, विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति प्रोफेसर हरिकेश सिंह, मुख्य वक्ता प्रोफेसर अवधेश प्रधान, प्रोफेसर मान्धाता राय आदि ने उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर तथा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। डॉ० विवेकी राय स्मृति न्यास की अध्यक्ष व उनकी पुत्रवधू डॉ० बिनीता राय ने मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जी को अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल एवं साहित्यानुरागी मनोज सिन्हा ने कहा कि डॉ विवेकी राय युग प्रवर्तक साहित्यकार थे। उन्होंने उनकी रचनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि विवेकी राय साहित्या काश के तारा नहीं ध्रुव तारा हैं। हिंदी एवं भोजपुरी में की गई उनकी रचनाएं जहां एक और विभिन्न विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम का हिस्सा है वही आने वाली अनंत पीढियो का मार्गदर्शन करती रहेगी। इससे पूर्व विषय स्थापना करते हुए डॉ० मान्धाता राय ने कहा कि विवेकी राय जी ने सभी विधाओं में रचना की उनकी प्रकाशित पुस्तकों की संख्या 70 से अधिक है। उन्होंने कहा कि डॉ विवेकी राय अपने साहित्य में मानव मूल्यों को प्रमुखता देते थे। विशिष्ट अतिथि कुलपति डॉक्टर हरिकेश सिंह ने कहा कि हिंदी एवं भोजपुरी साहित्य के उन्नयन में विवेकी राय का योगदान अतुलनीय है । मुख्य वक्ता प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने बताया कि विवेकी राय जी अत्यंत सरल और मानवीय संवेदना को उकेरने वाले साहित्यकार थे। उन्होंने उनकी रचनाओं के पात्रों को जीवन्त कर दिया। विवेकी राय जी के प्रिय शिष्य डॉ० बरमेश्वर नाथ राय ने उनसे जुड़े अनेक संस्मरण सुनाए। बलिया से पधारे उनके शिष्य एवं विवेकी राय पर प्रथम बार पीएचडी करने वाले डॉक्टर जनार्दन राय ने उन्हें ऋषि की संज्ञा दी तथा उनको कालजयी रचनाकार बताया। डॉक्टर रामबदन राय ने कहा कि डॉ विवेकी राय भोजपुरी के देशज भाषाओं का जो प्रयोग करते थे उसे साहित्य में जान आ जाती थी। इस अवसर पर डॉक्टर विवेकी राय मंच के द्वारा भानु डॉ० शिव प्रकाश साहित्य के संचालन में भव्य काव्य गोष्ठी भी आयोजित की गई जिसमें मुख्य रूप से जनपद के नवगीतकार डॉ० अक्षय पाण्डेय अक्षय, गोपाल गौरव, दिनेश चन्द्र शर्मा, कमलेश राय, सीताराम राय, रामबदन राय,अमरनाथ तिवारी अमर, हरिशंकर पाण्डेय, कामेश्वर द्विवेदी, राम बहादुर राय, चिदाकाश मुखर, इत्यादि कवियों ने काव्य पाठ से स्रोताओं का मन मोह लिया। डॉ० विवेकी राय के प्रमुख शिष्य एवं कवि श्री राम राय कमलेश ने मैं मानता मंजिल की दूरी पर पग बढ़ाना कब मना है कविता प्रस्तुत कर विवेकी राय के जीवन में संकल्प की महत्ता को दर्शाया। गाजीपुर जनपद के सोनवानी गांव के मूल निवासी डॉक्टर विवेकी राय का जन्म 19 नवम्बर 1924 को उनके ननिहाल भरौली मे हुआ था।कवि गोष्ठी के उपरांत कुलपति प्रोफ़ेसर हरिकेश, तथा प्रोफ़ेसर डॉ० मान्धाता राय के हाथों उपस्थित कवियों को अंग वस्त्रम स्मृति चिन्ह एवं माला अर्पण कर सम्मानित भी किया गया कार्यक्रम का संचालन व्यास मुनि राय तथा ने किया। विवेकी राय जी के अनन्य सहयोगी शेषनाथ राय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ० शकुन्तला राय , दिनेश चन्द्र राय, ऐश्वर्य नारायण, कुन्देन्दु आनंद, यशवंत, धीरेन्द्र राय, दिनेश राय, अरविन्द राय, विरेन्द्र सिंह, नीरज राय आदि उपस्थित रहे।

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मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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