धर्म

ये नज़ीर और कबीर का शहर बनारस है, इसकी रग-रग में बहता है मिल्लत का रंग

कुंभ यात्रियों का मुस्लिम कर रहे हैं स्वागत

वाराणसी। हमारे बनारस में हमारे मुस्लिम समाज के कुछ भाई जो श्रद्धालु कुंभ से लौटकर वाराणसी में काशी विश्वनाथ का दर्शन और घूमने के लिए आए हैं, उनका तहे दिल से हमारे मुस्लिम समाज के लोग स्वागत कर रहे हैं स्वागत ही नहीं बल्कि अपने घरों में रहने का भी इंतजाम कर रहे हैं। कहीं-कहीं खाना भी खिलाया जा रहा है जो एक बहुत बड़ी आपसी भाईचारे की मिसाल है बनारस को गंगा जमुनी तहजीब का मरकज कहा जाता है जो हमेशा से रहा है और हमेशा रहेगा कुछ सांप्रदायिक लोग हमेशा माहौल खराब करने के लिए लगे रहते हैं आपसी भाईचारे को तहस नहस करने पर तुले रहते हैं ऐसे लोगों के लिए यह एक नसीहत है मुसलमानों के कुंभ में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया इससे हमारे ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता जरूरत इस बात की है कि आपसी भाईचारा बनी रहे हम अपने तमाम मुस्लिम समाज के लोगों से कहना चाहते हैं जिन लोगों के पास भी हमारे तीर्थ यात्री भाई आए उनका दिल खोलकर स्वागत करें उनको रखने का इंतजाम करें खाने पिलाने का इंतजाम करें इलाहाबाद में जिस तरीके से मस्जिदों और मदरसों खानकाओं का दरवाजा खोल दिया गया उनके स्वागत के लिए । और इसके साथ ही खाने पीने सोने ठहरने के इंतजाम किया गया वह काबिले तारीफ है और सांप्रदायिक ताकतों को एक नसीहत है इस्लाम हमेशा मोहब्बत का पैगाम देता है हमें मदरसों में पढ़ाया गया है और इस्लाम यह कहता है कि अगर आपका पड़ोसी भूखा है परेशान है चाहे वह किसी भी जात बिरादरी का हो तो हम उसकी मदद करें यही हमारे रसूल ने फरमाया है बहुत अच्छी बात है तमाम मुसलमान भाइयों को चाहिए कि जिसके घर में जगह हो ऐसे श्रद्धालुओं को ठहराने खाने पिलाने का इंतजाम करें और उनकी मुकम्मल सेवा करें अल्लाह इसका अजर देगा, धन्यवाद।

(अतहर जमाल लारी, सामाजिक कार्यकर्ता वाराणसी )

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मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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