वाराणसी। “सतगुरु नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानण होआ, ज्यो कर सूरज निकलया, तारे छिपे अन्धेर पलोवा” सिक्ख धर्म के संस्थापक पहले पातशाह जगत गुरू श्री गुरू नानक देव का 555 वां प्रकाशोत्सव (गुरूपर्व) अलौकिक मान्यता के साथ विशेष उत्साह, जोश एवं श्रद्धा भाव के साथ गुरूबाग स्थित गुरुद्वारे में मनाया गया। इस पर्व पर गुरुद्वारे को झालरों व फूलो की मालाओ से दुल्हन की तरह सजाया गया। इस विशेष पर्व पर की गई सजावट, पानी के फव्वारे, फूलों के पौधे एवं बेहद रौशनी से नहाया पूरा प्रागंण आकर्षण का केन्द्र रहा। देव दीपावली पर गुरुद्वारे में शाम 5:15 बजे दीपोत्सव हुआ। देव दीपावली गुरूनानक देव जी महाराज के 555 वें प्रकाश पर्व को समर्पित। प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में विभिन्न घाटों पर बैनर लगाए गये। इससे पहले 14 नवंबर को सांयकाल कार्यकम समय 7.00 बजे से लेकर रात्रि 10:00 बजे तक पंथ के महान हजूरी रागी- श्री दरबार साहिब अमृतसर वाले भाई जगतार सिंह जी व भाई गुरप्रीत सिंह जी शिमला वाले ने गुरुवाणी कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। तत्पश्चात गुरू का अटूट लंगर बरताया गया। कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दीपावली को वाराणसी में छटा बहुत ही निराली थी चारो ओर भक्ति, प्रकाश एंव खुशियों का सरोबार रहा। शुक्रवार को कार्यक्रम की शुरूआत प्रातः 3.45 से शहाना स्वागत गुरूघर की संगत ने फूलो की वर्षा कर, नाम सिमरन, पाठ सुखमनी साहिब, आसा दी वार कीर्तन, प्रातः 9:00 बजे से 10:00 बजे तक गुरूनानक इंग्लिश मीडियम स्कूल गुरुबाग, गुरूनानक खालसा बालिका इण्टर कालेज, गुरूबाग एवं गुरूनानक इंग्लिश स्कूल शिवपुर की छात्रायें शबद गायन कर संगत को निहाल किया। प्रातः 10:00 बजे से 11:00 बजे तक गुरुद्वारे में कथा व कीर्तन चला। प्रातः11:00 बजे से 12:30 बजे तक भाई जगतार सिंह व दोपहर 12:30 बजे से 2:00 बजे तक भाई गुरप्रीत सिंह ने शबद कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। साथ ही साथ गुरू का अटूट लंगर भी बरताया गया। सांयकाल कार्यकम 7.00 बजे शुरू हुआ जो समाचार लिखे जाने तक जारी था। जिसमें पंथ के महान हजूरी रागी श्री दरबार साहिब वाले भाई जगतार सिंह व भाई गुरप्रीत सिंह शिमला वाले व गुरुद्वारे के रागी जत्था भाई नरेन्दर सिंह ने शबद कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। पाठ साहिब की समाप्ति, अरदास साथ ही साथ गुरू का अटूट लंगर बरताया गया। गुरुद्वारे के मुख्य ग्रन्थी भाई रंजीत सिंह एवं मीत ग्रन्थी भाई महंत सिंह ने गुरुद्वारे में उपस्थित सभी साध संगत व श्रद्धालुओं को धन्यवाद दिया व शुक्राना अदा किया। भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर गुरूघर में मत्था टेका व गुरू घर की खुशियों प्राप्त की।