देशधर्म

अजमेर शरीफ में ख्वाजा के उर्स का आगाज़, उमड़ा जायरीन का सैलाब

ख्वाजा के दर का जन्नती दरवाजा खोला गया

सरफराज अहमद

अजमेर। Hazrat Khwaja Moinuddin हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह (sarkar Gharib Nawaz) के 813 वें उर्स का आगाज़ चांद के दीदार संग हो गया। बुधवार सुबह जायरीन के लिए जन्नती दरवाजा खोल दिया गया। इसके साथ ही ख़्वाजा के दर पर जायरीन का हुजूम उमड़ने लगा। हालांकि मंगलवार की शब को गरीब नवाज की मजार से सालाना संदल उतारा गया। दिल्ली से पैदल छड़िया लेकर आ रहे कलंदर व मलंग भी अजमेर पहुंच गए। यह दल 20 दिसंबर को रवाना हुआ था। 12 दिन बाद यहां पहुंचा है। कलंदर और मलंग बुधवार को जुलूस के रूप में दरगाह पहुंचें और साथ लाई छड़िया पेश किया। गाजे-बाजे और सूफियाना कलाम के बीच निकले जुलूस में कलंदर व मलंग हैरतअंगेज करतब पेश करते हुए चल रहे थे। रोशनी के वक्त से पहले यह जुलूस दरगाह पहुंचकर खत्म हो गया।

इधर, मंगलवार रात को मजार शरीफ की खिदमत के वक्त संदल उतारा गया। इस संदल को अंजुमन के उर्स कंवीनर सैयद हसन हाशमी, सैयद कुतुबुद्दीन सखी आदि खादिमों ने मौके पर मौजूद जायरीन को तकसीम किया। तनवीर सैयद हसन हाशमी ने बताया कि चांद की 29 तारीख को तड़के 4:30 बजे दरगाह में जन्नती दरवाजा खोल दिया गया। यह दरवाजा अब छठी तक खुला रहेगा। इसी के साथ ख्वाजा के उर्स की शुरुआत हो गई और जायरीन कबीर तादाद में देश दुनिया से अजमेर शरीफ दरगाह पहुंचने शुरू हो गये। गौरतलब हो कि अजमेर में ख्वाजा के उर्स से बड़ा कोई दूसरा पर्व त्योहार नहीं है और देश दुनिया में ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स से बड़ा कोई दूसरा उर्स नहीं है जिसमें इतनी भीड़ और विभिन्न देशों के लोग शामिल होते हैं।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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