धर्मवाराणसी

संघ के शताब्दी वर्ष में समाज में पांच संकल्प को लाना स्वयंसेवक का दायित्व: दीनदयाल

वाराणसी 2025 में संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश करेगा, इस अवसर पर कुटुंब प्रबोधन,नागरिक कर्तव्य,सामाजिक समरसता, “स्व” भाव का जागरण,पर्यावरण जैसे विषयों को आत्मसात कर स्वयंसेवकों को समाज निर्माण के कार्य में अग्रणी भूमिका निभानी है । उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी दक्षिण भाग, गंगानगर के माधव मार्केट लंका स्थित माधव शाखा के वार्षिक उत्सव में मुख्य वक्ता के रूप में काशी प्रांत संपर्क प्रमुख दीनदयाल जी द्वारा कही गई ।
मुख्य वक्ता ने कहा कि संघ के सरसंघचालक विगत वर्षों से जिन पांच संकल्पों द्वारा समाज निर्माण की बात करते हैं, उन्हें सर्वप्रथम स्वयंसेवकों को अपने आचरण में लाना होगा । स्वयंसेवकों के भाषा, भूषा,भजन, भोजन,भवन एवं भ्रमण से सनातन के आदर्शों का दर्शन होना चाहिए । विघटित हो रहे परिवारों के लिए आवश्यक है कि प्राचीन परिवार प्रणाली को पुनर्जीवित किया जाए । इसी प्रकार प्रत्येक भारतीय नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह वर्ष के 365 दिवस नागरिक कर्तव्यों को अपने आचरण में समाहित करें । जिस प्रकार संघ में जाति प्रथा का प्रयोग नहीं है उसी प्रयोग को समाज में भी आचरण में लाने पर सामाजिक समरसता बढ़ेगी । संघ के स्वयंसेवक सर्वप्रथम स्वयं स्वदेशी उत्पादों का प्रयोग अपने आचरण में लाइन तभी भारत में “स्व” के प्रति भाव जागरण होगा ।
वक्ता ने पर्यावरण का उल्लेख करते हुए कहा कि प्राचीन भारतीय समाज प्रकृति से उतना ही लेता रहा जितना उसकी आवश्यकता थी, हमें प्रकृति का उपयोग करना है, ना कि उसका शोषण ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि काशी हिंदू विश्वविद्यालय मेडिसिन विभाग के डॉक्टर आई.एस. गंभीर ने कहा कि हमारी वर्तमान चिकित्सा व्यवस्था अधिक उन्नत हो गई है। भारत में कम दामों पर चिकित्सा उपलब्ध होने के कारण यह मेडिकल पर्यटन भी बढ़ा है । शाखा वार्षिकोत्सव की अध्यक्षता धर्म संघ शिक्षा मंडल के सचिव जगजीतन जी ने की ।
वार्षिक उत्सव के प्रारंभ में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गुरु भगवा ध्वज को लगाया गया तथा खेल, योग, दंड प्रयोग, नियुद्ध जैसे विभिन्न प्रकार के शारीरिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया गया , सभी स्वयंसेवक संघ के गणवेश में उपस्थित थे । वार्षिक उत्सव में मुख्य रूप से गंगानगर के सह नगर संघचालक डॉ वैभव जायसवाल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक एवं मातृशक्ति उपस्थित रही ।

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