
(त्रिलोकी नाथ राय) गाजीपुर।भाँवरकोल ब्लॉक अंतर्गत ग्राम शेरपुर में जन्माष्टमी पर स्वर्गीय मुरलीधर राय के वंशजों ने महतरियो माई की पूजा की,जो श्री कृष्ण की अनन्य भक्त थीं। मान्यता है कि अंतिम समय में उनकी देह ज्योति श्रीकृष्ण के विग्रह में समा गई थी। जन्माष्टमी पर्व के दिन ही माता की पूजा भी की जाती है। इस पूजा का विशेष महत्व है। उनके बंशजों का मानना है कि इस पूजा से उनकी अनिष्ट से रक्षा होती है। ग्रामीण अशोक राय, सतेन्द्र राय,अंजनी राय,कृष्णकांत राय,सियाराम राय,हरिशंकर राय,उमेश चंद्र राय,प्रताप नारायण राय, कमल नारायण राय ने बताया कि इसी लिए इस पूजा का विशेष महत्व है। पूजा के अगले दिन ब्रह्म भोज का आयोजन किया जाता है। जिसमें ब्राह्मण और गरीब जनों को श्रद्धापूर्वक भोजन कराया जाता है। भोजन के समय महतरियो माई की जय-जयकार भी की जाती है।
महतरियो माई की कथा
पुरातन काल में महतरियो माई स्वर्गीय मुरलीधर राय की पत्नी थीं। उनका जन्म मऊ के सहरोज गाँव में हुआ था और बचपन से ही वह बहुत सात्विक और साधु प्रवृत्ति की थीं। उनका विवाह शेरपुर में मुरलीधर राय से हुआ था। विवाह के पश्चात जब माई अपने ससुराल शेरपुर आईं, तो उन्होंने देखा कि यहाँ के परिवार जन मांस का सेवन कर रहे थे। उन्होंने अन्न जल त्याग कर दिया और अपने पिता को बुलाकर मायके चली गईं। ससुराल आने के लिए बहुत मान मनौवल करने के क्रम में जब ससुराल वालों ने मांस त्याग करने का संकल्प लिया, तब ससुराल शेरपुर वापस आईं। और तभी से मुरलीधर राय के परिवार ने मांस त्याग कर दिया और आज भी उस परंपरा का पालन उनके वंशजों द्वारा किया जाता है। एक अन्य कीम्वंदन्ती के अनुसार माता जी श्रीकृष्ण की अनन्य भक्त थी और अंतिम समय में स्वतः श्री कृष्ण विग्रह में समाहित हो गई थीं। जब माता रानी को अपने घर में उनके चार बेटों जगरदेव राय, निहाला राय, नन्दलाल राय और लक्षमण राय ने उनको घर में सशरीर नहीं पाया, तो विलाप करने लगे। तब आकाशवाणी हुई कि पुत्रों तुम लोग चिंतित न हो और मुझे खोजने की चेष्टा न करो, मैं हमेशा तुम्हारी रक्षा करते हुए धन यश में वृद्धि का रास्ता सुगम करूंगी। तुम लोग कभी भी मांस का सेवन मत करना और हर साल जन्माष्टमी के दिन मुझे याद करते हुए यथा संभव दान पुण्य व्रत करते रहना। तभी से यह पूजा मुरलीधर राय के वंशजों द्वारा की जाती है।





