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धर्ममिर्जापुर

पूर्वांचल के सिद्धपीठों में विख्यात माॅ भण्डारी देवी धाम पर लगा श्रद्धालुओं का तांता

तारा त्रिपाठी

अहरौरा/मीरजापुर/।पूर्वांचल के सिद्धपीठों में विख्यात माॅ भण्डारी धाम पर यूं तो वर्ष भर भक्तों का आना-जाना बना रहता हैंऔर वे माॅ के चरणों में अपना शीश नवाते रहते हैं तथा आशीष लेते रहते हैं किन्तु नवरात्र के अलावा सावन के महीने के हर रविवार और मंगलवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। यह यूं ही नहीं बल्कि माॅ के द्वारा भक्तों की पूर्ण होने वाली मनोकामना की देन है। पिछले रविवार और मंगलवार के दिन माॅ भण्डारी देवी के धाम पर नर नारियों का आस्था उमड़ता हुआ दिखाई दिया। लोग करारबद्ध होकर दर्शनार्थ जाते रहे। यह क्रम सुबह से शाम तक चलता रहा और तमाम परेशानियों पर आस्था भारी रही। कोई देवी गीत से माॅ को खुश कर रहा था तो कोई चुनरी नारियल चढ़ा कर माॅ को प्रसन्न करने में लगा दिखाई दिया। कइयों कोअपनी मन्नते पूरा होने पर हलुआ पूड़ी बना कर चढ़ाते हुए देखा गया। पहाड़ के ऊपर स्थित माॅ भण्डारी धाम पर और पहाड़ के नीचे भी मेले जैसा दृश्य बना हुआ था। माॅ का धाम घंटा घड़ियाल तथा माॅ के जयकारे से गुन्जायमान रहा। सुरक्षा का भी व्यापक इन्तजाम देखा गया। सुबह से शाम तक पुलिस चक्रमण करती रही। चोर उचक्कों पर तीखी नजर रखी जा रही थी। मां के चढ़ावे की सामग्रियों के साथ साथ विभिन्न प्रकार की दुकाने लगाई गई थी। बच्चे खिलौना खरीदने के लिए जिद्द फाने हुए थे और उसे लेने के लिए अड़े दिखाई दीये।श्रद्धालु सीता देवी से माॅ के धाम पर आने का औचित्य पूछे जाने उन्होने बताया कि मेरी आस्था तो इस देवी में है ही किन्तु मां से मैने जो मांगा वो मुझे मिला इसलिए मैं हर वर्ष सावन मास में मां के धाम दर्शनार्थ आती हूॅ। इसी तरह शिवाकान्त से भी बात करने पर उन्होंने भी माॅ भण्डारी देवी को जागती हूई देवी बताया।  मेले जैसी भीड़ होने के बाद भी यह देवी धाम दुर्रव्यवस्थाओं का शिकार है। आने जाने के रास्ते उबड़-खाबड़ है। जगह-जगह गढ़्ढ़े बन गये हैं। बरसात में गढ़्ढ़ों में पानी भरे हैं। वाहन ही नहीं श्रद्धालुओं के गिर कर घायल होने का खतरा बना हुआ है। साफ-सफाई की व्यवस्था नहीं है। पिछले वर्ष नगर पालिका द्वारा सफाई कर्मी लगा कर रोज सुबह शाम सफाई कराई जाती थी इस वर्ष सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं।

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