
सुशील कुमार मिश्र/ वाराणसी।योगऋषि डॉ. राकेश पांडेय इक्कीस दिन के रूस प्रवास के बाद काशी लौटे। इस अन्तर्राष्ट्रीय योग यात्रा के दौरान उन्होंने रूस के प्रमुख शहरों- मास्को, क्रॉस्नोडार,और ब्लैक सी के तट पर स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सोची में अनेक योग सत्रों का संचालन किया। डॉ. पांडेय ने इन शहरों में न केवल योग प्रशिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया, बल्कि छात्रों और जन सामान्य को भी योग की मौलिक विधाओं से परिचित कराया। विशेष रूप से अष्टांग योग के यम और नियम पर आधारित जीवनशैली को उन्होंने सरलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत किया। पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि योग न केवल व्यक्ति को स्वस्थ बनाता है, बल्कि यह वैश्विक चेतना को जोड़ने का माध्यम है। आज की विघटित और तनावपूर्ण दुनिया में योग ही ऐसा सेतु है जो राष्ट्रों, संस्कृतियों और विचारों को एकसूत्र में पिरो सकता है। योग विश्व बंधुत्व का आधार बन सकता है और राष्ट्रों के बीच की दूरियों को कम करके शांति स्थापित कर सकता है। योगऋषि डॉक्टर पांडेय ने रूस के विभिन्न सभागारों और विश्वविद्यालयों में दिए गए व्याख्यानों में ओम् ( ॐ) ध्वनि के वैज्ञानिक महत्व को भी विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि ओम् कोई धार्मिक मंत्र मात्र नहीं है, यह एक ध्वनि कंपन है जिसकी फ्रीक्वेंसी लगभग 432 हर्ट्ज होती है, जो ब्रह्मांड की प्राकृतिक फ्रीक्वेंसियों से मेल खाती है। उन्होंने यह भी बताया कि ओम् का उच्चारण मस्तिष्क की अल्फा तरंगों को सक्रिय करता है, जिससे मन शांत होता है, चिंता कम होती है और ध्यान की क्षमता बढ़ती है। वाराणसी आगमन पर उनके शिष्यों, योग विद्यार्थियों और विभिन्न योग संस्थानों ने उनका पारंपरिक स्वागत किया। पुष्पवर्षा, शंख ध्वनि और योग संगीत की प्रस्तुति के साथ योगऋषि का अभिनंदन किया गया।




