श्री संकट मोचन संगीत समारोह में ड्रम वादन से श्रोता हुए भाव विभोर

सुशील कुमार मिश्र/वाराणसी
श्री संकट मोचन मंदिर में महाराज के चरण शरण में आयोजित संगीत समारोह की तीसरी निशा अनूठे ध्वनि अनुसंधान की साक्षी बनी।विख्यात ड्रामा पदम श्री पंडित शिवमणि ने यू राजेश के मंडोलिन व महंत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्रा के पखावज संग डेढ़ घंटे की प्रस्तुति को अपनी प्रयोगधार्मित से यादगार बनाया । पश्चिम के दो ड्रम वह मंडोलिन संघ पखावज की ट्रे में पूर्व के सूर्य ले लाल का झंडा लहराया। शिवमणि का ड्रम शास्त्रीय संगीत के प्रवाह में कितने अद्भुत तरीके से धन का झन का और खनका की दिलों में उतरता चला गया। इसकी गहराई तालिया की गड़गड़ाहट और थिरकन से महसूस की गई। शिवमणि वास्तव में ड्रम वादन ही नहीं कर रहे थे बल्कि वह निरंतर ध्वनि अनुसंधान भी करते दिखे।ताल व लय का इस तरह साथ मिला कि श्रोताओं को ड्रम वादन की श्रव्य दृश्य अदा विभोर कर भारतीय संसद शास्त्रीय संगीत का समावेश करते हुए झाल, मंजीरा, तबला, पूजा की घंटी, शंख ,घुंघरू, बाल्टी आदि का उपयोग की गई। शिवमणि ने ड्रम वादन के बीच टैबलेट से डिटेलाइज्ड साउंड निकाला और फ्यूजन के साथ ध्वनि अनुसंधान के कई नमूने पेश कर सबको सम्मोहित कर दिया।
विश्व मोहन भट्ट व सलिल भट्ट की वीणा वादन से मंदिर गुंजायमान हो उठा

श्री संकट मोचन संगीत समारोह की तीसरी प्रस्तुति में ग्रैमी अवार्ड विजेता पद्म भूषण पंडित विश्व मोहन भट्ट व “तांत्रिक सम्राट” की उपाधि से सम्मानित उनके पुत्र सलिल भट्ट ने मोहन वीणा व सात्विक वीणा की शानदार जुगलबंदी की।पंडित विश्व मोहन भट्ट के अमृत महोत्सव 75 वर्ष को ध्यान में रखते हुए जयपुर घराने की पिता पुत्री जोड़ी ने संकट मोचन महाराज के चरणों में पूर्व रंग से विशेष प्रस्तुति समर्पित की। साथ ही अपनी 14 पीढ़ियों की साधना_ आराधना से सजा पोस्टर मंहत प्रोफेसर विशंभर नाथ मिश्र को भेंट किया।राज जोग में पूरे विस्तार से आलाप, जोड़, झाला व दोनों वीणाओं के संवाद से श्रोताओं को चमत्कृत किया। इसी राग में शिव हनुमान की स्तुति की। विलंबित, द्रुत गति की रचनाओं को प्रस्तुत कर राज योग को परिभाषित किया। तीव्र गति की तानो और असंख्य तिहाईयों के वादन से मंदिर परिसर गुंजायमान होता रहा। अहमदाबाद से आए बनारस घराने के तबला वादक पंडित हिमांशु महंत ने संगत की।




