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आजमगढ़उत्तर प्रदेशकारोबारक्राइम

SBI में महिला से 70 हजार की टप्पेबाजी

गोविन्द लाल शर्मा
आजमगढ़। शहर के रैदोपुर स्थित एसबीआई मेन ब्रांच से सामने आया 70 हज़ार रुपये की टप्पेबाज़ी का मामला केवल एक महिला की आर्थिक क्षति भर नहीं है, बल्कि बैंकिंग प्रणाली और प्रशासनिक लापरवाही की गहरी परतों को उजागर करता है। बलरामपुर की रहने वाली नीलम यादव के साथ हुआ यह अपराध बताता है कि ग्राहक चाहे लाख सतर्क रहें, लेकिन अगर संस्थान की सुरक्षा चाक-चौबंद न हो, तो अपराधी अपने मंसूबों में सफल हो ही जाते हैं। घटना के बाद पुलिस महकमे की फुर्ती देखने को मिली। स्वयं एसपी डॉ. अनिल कुमार मौके पर पहुंचे, निरीक्षण किया और शहर कोतवाल यादवेंद्र पांडे को जांच सौंपी। एफआईआर दर्ज की गई, सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक किए गए और जनता से सहयोग की अपील हुई। यहां तक कि आरोपी की पहचान कराने वाले को पुरस्कार देने की घोषणा भी हुई। यह सब सराहनीय है, परंतु प्रश्न यह है कि ऐसी घटनाओं की रोकथाम पहले क्यों नहीं हो पाती? बैंक का नाम देश की सबसे बड़ी वित्तीय संस्था से जुड़ा है, लेकिन जब ग्राहक उसकी शाखा में सुरक्षित न हो, तो भरोसे की नींव हिलती है। सुरक्षा गार्ड की मौजूदगी, ग्राहकों को सतर्क करने के लिए घोषणाएं और आधुनिक निगरानी तंत्र की व्यवस्था क्या सिर्फ दिखावे तक सीमित हैं? यह घटना बैंकिंग तंत्र के लिए चेतावनी है। टप्पेबाज़ी करने वाला अपराधी भले ही जल्द पकड़ा जाए, लेकिन जब तक ग्राहकों की सुरक्षा को सर्वाेच्च प्राथमिकता नहीं दी जाएगी, तब तक ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेंगी। पुलिस की तत्परता प्रशंसनीय है, किंतु इससे भी अधिक जरूरी है कि बैंक प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से समझे और ठोस कदम उठाए।

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