

बादशाह रही की रिपोर्ट…..
गाजीपुर। इमाम बारगाह उम्मे लैला बीबी महमदपुर में आयोजित हुआ प्रोग्राम का आग़ाज़ तिलावते कलामे रब्बानी से किया गया। इसके बाद जनाब अशफ़ाक़ हुसैन उर्फ़(हसीन) और उनके हमनवां ने सोज़ ख़ानी और मर्सिया ख़ानी पुरदर्द लहजे में की। बाद मर्सिया ख़ानी बाहर से आये हुए शायरों ने क़तात रुबाई और सलाम के ज़रिए बारगाहे सय्यदुशशोहदा में नज़राने अक़ीदत पेश किया। इनमे खास तौर से जनाब नज़र सुल्तानपुरी,जनाब मुनव्वर जलालपुरी,जनाब मुस्लिम नोनहरवी जनाब ताहिर आज़मी ने अपने अशआर से मजलिस में समा बांधा सामइनो ने इनको दादो तहसीन से बहुत नवाज़ा । इसके बाद अकबरपुर से आये हुए हिंदुस्तान के मशहूर-ओ-मारूफ़ ज़ाकिर आली जनाब मौलाना परवेज़ कमाल कुम्मी साहब ने मजलिस को खेताब फ़रमाया। जिसमे इन्होंने अपनी तक़रीर में अम्न और मोहब्बत आपसी भाईचारगी को क़ायमो दायम रखने के लिए सभी मानव समुदाय से अपील की। बताया कि अदमें तशद्दुद की सबसे बेहतरीन और उम्दा नज़ीर वाक़ये कर्बला में इमाम हुसैन ने पेश किया जहां प्यास के मुकाबले में पानी हारा हक़ से मुक़ाबला कर के बातिल हारा और खंजरों के मुक़ाबिल शहादत पेश करने वाले सर नोके नैज़ा पे बुलंद हो कर ता क़यामत तक के लिए सरफ़राज़ हुए। तक़रीर के बाद शबीहे ताबूत जनाबे सकीना बिन्तुल हुसैन और अलम व ज़ुल्फ़िक़ार इमाम बारगाह उम्मे लैला बीबी से बरामद हुआ जिसकी ज़ियारत आये हुए हज़ारों ज़ायरीनों ने बड़े अक़ीदत के साथ पुरनम आँखों से की और साथ ही अपनी हाजते और मन्नत इन तबर्रुकात पे माँगी। इन तबर्रुकात के ज़ेरे साया अंजुमने हाये मातमी मक़ामी एवं बैरूनी ने नोहा ख़ानी और सीना ज़नी की मक़ामी अंजुमन में सबसे पहले मेज़बान अंजुमन, अंजुमन मोहम्मदिया मोहम्मदपुर के साहबे ब्याज जनाब ताजदार हुसैन उर्फ़ आसिफ़ ने अपनी पुरदर्द आवाज़ में जनाबे सकीना के मसाएब, नौहे के ज़रिए पेश किये। अंजुमन मोहम्मदिया के बाद अंजुमन सज्जादिया मुस्तफ़ाबाद ने अपने दिल सोज़ अंदाज़ में नौहा और मातम पेश किया।इसके बाद बनारस से आई हुई। अंजुमन पंजतनी शिवपुर बनारस ने नौहा पेश किया। बनारस से ही आई हुई एक और अंजुमन अंजुमन सदा-ए-अब्बास नक्की घाट बनारस ने अपने मख़सूस अंदाज़ में बारगाहे बिन्तुल हुसैन में सलाम और नौहे का हदिया पेश किया। इसके बाद अकबरपुर से आई हुई हिंदुस्तान की मशहूर-ओ-मारूफ़ अंजुमन, अंजुमन हैदरिया अब्दुल्लाहपुर अकबरपुर ने नौहा पढा और इनके दस्ते के मातम की धमक से ग़ाज़ीपुर की फ़िज़ा में लबबैक या हुसैन की सदा बुलंद की। अंजुमनों के नौहा और मातम के बाद ये इज़तेमा एक जुलूस की शक्ल में जन सैलाब के साथ उम्मे लैला बीबी के इमाम बारगाह से सदर इमाम बारगाह महमदपुर पहुचा जहां अल्वेदाई तक़रीर आज़मगड़ से आये हुए मौलाना आली जनाब सय्यद इब्ने हसन साहब शिवली आज़मगढ़ ने अपने मख़सूस अंदाज़ में की उन्होंने इमाम हुसैन की चार साला बच्ची पर ढाये गये ज़ुल्मों सितम को इस अंदाज में पेश किया की हर आँखों से ज़ारो क़तार अश्क़/आंसू बहने लगे और इन अश्क़ से भरी हुई आँखों ने शबीहे जनाबे सकीना के दफ़्न के दिल सोज़ मंज़र की भी ज़ियारत की जिससे चश्मे अश्क़ दो बाला हो गये। प्रोग्राम की निज़ामत इलाहाबाद से आये हुए नाज़िम-ए-इंक़लाब बहलोल-ए-हिन्द जनाब नजीब इलाहाबादी साहब ने अपने मख़सूस अंदाज़ में बड़े ही पुरजोश लबो लहजे में किया। प्रोग्राम का समापन लगभग 8:30 बजे शब/रात्रि में हुआ। प्रोग्राम के बानी ख़ानवादए अज़ादार हुसैन मरहूम के पेसरान ज़ुल्फ़िक़ार हुसैन, बादशाह राही ताजदार हुसैन आदि ने आये हुए तमाम मोमनीन का समीम-ए-क़ल्ब से शुक्रिया अदा किया।





