
काशी में पहली बार चला भाल (मस्तक) रेखा शिविर
शास्त्रार्थ महाविद्यालय में एक माह पर्यन्त चलने वाले ज्योतिष शिविर का हुआ समापन
सुशील कुमार मिश्र/वाराणसी
काशी अनेक दुर्लभ व गूढ़ विद्याओं की नगरी है । यहाँ देवभाषा संस्कृत का विशेष महत्व है । जिस कारण इससे जुड़े अनेक प्राचीन शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन निरंतर चलायमान है । ऐसी ही एक प्राचीन संस्था है शास्त्रार्थ महाविद्यालय । जो निरंतर शास्त्रों के प्रारम्भिक व उच्च गहन बोध के लिए सतत् प्रयत्नशील रहती है । मस्तक में बनने वाली रेखाओं को पढ़कर हम कैसे वर्तमान व भविष्य का अनुमान लगा सकते हैं । इसी सन्दर्भ में पिछले एक महीने से यहाँ चल रहे ज्योतिष ज्ञान शिविर का रविवार को भव्य समापन हुआ । शिविर में बटुक विद्यार्थियों के अलावा महिलाओं व पुरुषों ने भी जिज्ञासावश निरंतर प्रतिभाग कर इसका सामान्य ज्ञान प्राप्त किया । शिविर में ज्योतिष सिखाने वाले आचार्य संजय उपाध्याय ने इस शास्त्र के धार्मिक महत्व के साथ ही इसकी वैज्ञानिकता पर जोर देते हुए सरल से सरल तरीके से बताया । इन्होनें समझाया कि भाल रेखा (ललाट रेखा) के माध्यम से जीवन में घटित होने वाले भूत,भविष्य एवं वर्तमान की जानकारी कैसे प्राप्त की जा सकती है । इसके अध्ययन-अध्यापन से जन्म कुंडली के ग्रहों को समन्वित कर एक नवीन शोधात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया व बताया गया कि किस प्रकार भाल रेखा और कुंडली मिलकर जीवन की दिशा निर्धारित कर सकते हैं । इन्होनें समयचक्र और बेला का विश्लेषण करते हुए समझाया की समय को तीन प्रकार से विभाजित कर यथा – सत्व बेला,रज बेला और तम बेला में कुंडली विचार की सर्वाधिक शुभ एवं फलदायक होता है।शिविर समापन अवसर पर मुख्य अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कृत पूर्व प्राचार्य डा.गणेश दत्त शास्त्री व विशिष्ट अतिथि के रूप में काशी पण्डित सभा के मंत्री डा.विनोद राव पाठक थे।अध्यक्षता आयुर्वेदशास्त्र के पूर्व चिकित्साधिकारी डा.सारनाथ पाण्डेय ने किया शिविर के संयोजक व संस्था के प्राचार्य डा.पवन कुमार शुक्ल ने बतलाया कि यह शिविर न केवल बच्चों को वैदिक परंपराओं,वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आत्मबोध से समृद्ध करने का प्रयास था,बल्कि भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण तथा संवर्धन का एक सशक्त माध्यम भी बना अन्य उपस्थित विद्वानों में डा.आमोद दत्त शास्त्री,डा.शेषनारायण मिश्र व डा.रामलखन पाठक ने भी समापन अवसर पर अपना संबोधन देते हुए मंगलकामना की।




