• एमसीए में 1997 से 2001 बैच के पुरातन छात्रों ने कुलपति को सौंपा दानराशि का चेक
• विश्वविद्यालय व विद्यार्थियों के विकास में निरंतर योगदान हेतु जताई प्रतिबद्धता
• कुलपति जी ने किया पुरातन छात्रों का आह्वान, बीएचयू आते रहें तथा संस्थान के साथ जुड़ाव को निरंतर करते रहें मज़बूत
वाराणसी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में एमसीए के बैच 1997 से 2001 तक के पुरा छात्रों ने विश्वविद्यालय में नई छात्रवृत्ति आरंभ करने के लिए पांच लाख रुपये का प्रतिदान दिया है। विश्वविद्यालय के 14 पुरा छात्रों के दल ने बृहस्पतिवार को कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन से मुलाकात की तथा उन्हें दानराशि का चेक भेंट किया। इस राशि से कम्प्यूटर साइंस के विद्यार्थियों के लिए नई छात्रवृत्ति आरंभ की जाएगी। कुलपति जी से मुलाकात के दौरान पुराछात्रों ने विश्वविद्यालय में अपने छात्रजीवन की यादें साझा की तथा विश्वविद्यालय तथा विद्यार्थियों की उन्नति के संबंध में सुझाव दिये। उन्होंने बताया कि अनेक ऐसे विषय व क्षेत्र हैं, जिनमें पुराछात्र सक्रियता से विश्वविद्यालय व विद्यार्थियों से जुड़ी चुनौतियों के समाधान में योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन के नेतृत्व में विश्वविद्यालय द्वारा आरंभ प्रतिदान योजना की सराहना की और कहा कि बीएचयू और उसके पुराछात्रों के बीच संबंध को और सशक्त करने में यह अत्यंत बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा कि वे निरंतर विश्वविद्यालय के संपर्क में बने रहकर संस्थान की प्रगति में योगदान देते रहना चाहते हैं।
इस दौरान कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने पुराछात्रों को विद्यार्थियों के विकास हेतु की गई पहलों के बारे में अवगत कराया। कुलपति जी ने कहा कि विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता विकसित करने तथा उन्हें भविष्य व करियर की चुनौतियों के लिए तैयार करने हेतु आरंभ नेतृत्व व जीवन कौशल योजनाओं के तहत हज़ारों विद्यार्थियों को प्रशिक्षण मिला है। जिसका नतीजा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व व आत्मविश्वास में आ रहे बदलाव में दिखता है। प्रो. जैन ने शिक्षकों के विकास, विश्वविद्यालय में क्षमता विकास व निर्माण तथा नए अवसरों में वृद्धि की योजनाओं की प्रगति भी साझा की। उन्होंने पुराछात्रों का आह्वान किया कि वे विश्वविद्यालय के साथ निरंतर जुड़ाव बनाए रखें ताकि संस्थान व इसके सदस्यों के कल्याण व विकास में उनके अनुभव व कौशल का लाभ मिल सके। उन्होंने पुराछात्रों को सुझाव दिया कि जब भी संभव हो बीएचयू आते रहें और परिसर में समय बिताएं, इससे न सिर्फ संस्थान के साथ उनका संबंध और गहरा होगा, बल्कि वे सार्थक रूप से योगदान भी दे सकेंगे।
इस दौरान वित्ताधिकारी मनोज पाण्डेय तथा पुराछात्र सम्पर्क के सलाहकार प्रो. रमेश चंद भी उपस्थित रहे।