धर्म

धुंध में छुपा चांद नहीं हुआ दीदार, संडे को अब पहला रोजा

कल से होगी तरावीह की नमाज, शिडयूल जारी

सरफराज अहमद

वाराणसी। मुक़द्दस Ramzan का Chand जुमे को धुंध और बादल के चलते नहीं दिखाई दिया। इसलिए अब कल चांद रात होगी, चांद देखकर मस्जिदों में नमाजे तरावीह अदा की जाएगी वहीं पहला रोजा इतवार को रखा जाएगा। चांद ने देखें जाने का ऐलान इश्तेमाई रुइयते हेलाल कमेटी व इश्तेमाई रुइयते हेलाल कमेटी समेत पूर्वांचल की विभिन्न चांद कमेटियों ने की है। इससे पहले मगरिब की नमाज के बाद मस्जिदों, मदरसों, घरों व मैदानों में लोगों का हुजूम चांद देखने के लिए उमड़ा लोगों ने बहुत कोशिश की मगर कहीं भी चांद नज़र नहीं आया।

मस्जिदों से तरावीह का ऐलान

जुमे को मस्जिदों में जहां रमज़ान टाइम टेबल कार्ड बांटा गया वहीं तरावीह की नमाज का भी ऐलान किया गया। तरावीह की नमाज सबसे पहले तीन दिन में मुकम्मल होगी। ऐसे ही कहीं 5 दिन, कहीं 7 दिन तो कहीं 15 व 20 दिन में तरावीह मुकम्मल होती है।

हर मोमिन को चांद देखकर नमाजे तरावीह शुरू करना होता है और ईद का चांद देखकर ही तरावीह खत्म करना सुन्नत है। मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल होने के बाद सुरे तरावीह शुरू होती है जो ईद का चांद होने के बाद खत्म होती है।

नूरी रिजवी मस्जिद नरिया में हाफ़िज़ जियाउल हक 15 दिन में तरावीह मुकम्मल कराएंगे तो काली मस्जिद, सलेमपुरा में हाफिज अब्दुल वहाब 15 दिन में तरावीह पढ़ाएंगे, ऐसे ही मस्जिद इमाम अबू हनीफा अमानुल्लाहपुरा में हाफ़िज़ मोहम्मद असलम 15 दिन, बीचली मस्जिद गोलघर कचहरी में हाफिज गुलज़ार अहमद 10 दिन, मस्जिद कच्ची, कच्ची बाग, हाफिज बिलाल अहमद, 10 दिन, मस्जिद रहीमुल्लाह चोगा, जमालुद्दीनपुरा, बड़ी बाज़ार, मौलाना हाफ़िज़ अरशद महमूद, 15 दिन, मस्जिद पाकर तल्ले, मोहम्मद शहीद, पीलीकोठी, मौलाना हाफ़िज़ वफ़ाउल ग़फ़्फ़ार, 15 दिन, छोटी मस्जिद कटेहर, पीलीकोठी, मौलाना हाफ़िज़ महमूदुल हसन, 6 दिन, चमेली की मस्जिद कच्ची बाग़ 10 दिन, हाफिज़ मोहम्मद दानिश, मस्जिद खारियान, छित्तनपुरा, मौलाना हाफ़िज़ मोहम्मद ज़ुबैर, 6 दिन। ऐसे ही इब्राहिम की मस्जिद मदनपुरा ताड़तले 12 रमज़ान, मस्जिद बरतल्ला, मदनपुरा 15 रमज़ान,मस्जिद डोमन, मानसरोवर 10 रमज़ान, मस्जिद मतवाने 7 रमज़ान, मस्जिद अल कुरैश (हंकार टोला 6 दिन), मस्जिद रंग ढलवा, शेख सलीम फाटक, 15 दिन, चिरकुट वाली मस्जिद, पितरकुण्डा में 10 दिन में तरावीह मुकम्मल होगी।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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