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उत्तर प्रदेशएजुकेशनवाराणसी

BHU:दृश्य कला संकाय के छात्रों ने पर्यावरण संरक्षण का दिया अनूठा संदेश

विश्वनाथ मंदिर के द्वार पर प्रदर्शित किया अपनी
कला का

सुशील कुमार मिश्र/ वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के दृश्य कला संकाय स्थित अहिवासी कला दीर्घा में लगभग 50 कलाकारों ने अनूठे तरीके से विश्व बंधुत्व और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया है। इन कलाकारों ने कला दीर्घा में मिट्टी के तवे, सिरामिक और डिस्पोजेबल कागज की प्लेट पर अपनी निजी शैली में चित्रांकन किया और इन्हें विश्वनाथ मंदिर द्वार के समक्ष प्रदर्शित किया है। आने-जाने वाले  लोग इन अनूठी कलाकृतियों को देखकर आश्चर्यचकित हो रहे हैं। यह कलात्मक जागरूकता कार्यक्रम 16वें अन्तरराष्ट्रीय रंग मल्हार के अन्तर्गत सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के स्थानीय संयोजक एवं चित्रकार डॉ. सुरेश जांगिड़ ने बताया कि इस नवाचार का प्रारंभ 2010 में जयपुर के प्रसिद्ध कलाकार डॉ. विद्यासागर उपाध्याय ने किया है। तब से ही विश्व के अनेक भागों में रंग मल्हार का आयोजन जुलाई माह के रविवार को किया जाता है। प्रत्येक वर्ष एक नए चित्र तल पर अभिव्यक्ति की जाती है। गत वर्षों में छाता, टी-शर्ट, हेलमेट, मास्क, साइकिल, कार, लालटेन, पंखी, कैरी बैग, ग्लोब,  ध्वज, चाय की केतली तथा एप्रन जैसे आधारों पर चित्रण किया जा चुका है। चूंकि तवा रोटी बनाने और प्लेट खाने के उपयोग में ली जाती है, अतः यह वस्तु मनुष्य की उदरपूर्ति का प्रतिनिधित्व करती है। यही कारण है कि इस बार चित्रांकन हेतु तवा अथवा प्लेट का चुनाव किया गया है। यह कला के माध्यम से संपूर्ण विश्व को जोड़ने की एक पहल है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित 17 सतत् विकास लक्ष्यों में से द्वितीय क्रमांक पर सभी के लिए भोजन का प्रावधान किया गया है। इन लक्ष्यों के माध्यम से संपूर्ण पृथ्वी को एक परिवार मानते हुए जीवन के आधार भोजन को आपस में बांटकर सभी को उपलब्ध करवाने का संकल्प भी निहित है। वहीं दूसरी ओर यह भारतीय संस्कृति के वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा से भी जोड़ता है। जन सामान्य को इन लक्ष्यों के प्रति जागरूक करना और अपने उत्तरदायित्व का पुनः स्मरण करवाना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। जिस प्रकार राग मल्हार से मेघों को रिझा कर अच्छी वर्षा की जाती थी, उसी प्रकार कलाकार लोग भी अपने रंगों के माध्यम से मेघों को रिझाने की कामना करते हैं, ताकि यह भूमि हरी-भरी और धन-धान्य से संपन्न हो। इस कलात्मक पहल में वाराणसी के कलाकार विजय सिंह, अजय उपासनी, प्रोफेसर जसमिंदर कौर, सोनिका शर्मा, गरिमा यादव, श्वेता विश्वकर्मा, गौतम देव, शालिनी प्रजापति, साधना गौंड, सुभाष चन्द्र, जसवंत राव, अंजलि मौर्य, प्रियांशी जायसवाल, प्रीति कुमारी, रिंकी मंडल, गोविंद कुमार, प्रियांशु, स्वाति भगत, कार्तिकेय पालीवाल, पूजा गुप्ता, रूत्वी जांगिड़ ने अपने सृजन से योगदान दिया।

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