एजुकेशन

बेटियां पढ़े आगे बढ़ें के संकल्प से संचालित की जा रही है ई-लाइबेरी

बेटियों के लिए संचालित आशा लाइब्रेरी एवं स्टडी सेंटर का दूसरा वार्षिकोत्सव मना

वार्षिकोत्सव में बच्चियों ने प्रस्तुत किए रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम

सरफराज अहमद

वाराणसी। ग्रामीण क्षेत्र की बालिकाओं के लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, ऑनलाइन कोचिंग क्लास, परीक्षाओं की पुस्तकों, पत्रिकाओं, खेलकूद के सामान की व्यवस्था एक ही छत के नीचे करने के उद्देश्य से सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा भंदहा कला (कैथी) गाँव में संचालित की गई ई लाइब्रेरी एवं स्टडी सेंटर का दो वर्ष पूर्ण होने पर केंद्र से जुड़ी बच्चियों ने वार्षिकोत्सव मनाया।
इस अवसर पर बच्चियों ने अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये. उपस्थित आगंतुकों को सम्बोधित करते हुए आशा के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया संस्था द्वारा बेटियां पढ़ें खूब आगे बढ़ें का उद्धेश्य लेकर इस केंद्र का संचालन किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र की बालिकाएं अपनी क्षमता का बेहतर प्रदर्शन करते हुए राष्ट्र की बेहतर सेवा में अपना योगदान दे सकें । आस पास के कई गांवों की लगभग 6 दर्जन बच्चियां केंद्र का नियमित लाभ पूरी तरह निःशुल्क ले रही है । केंद्र पर कक्षा 6 से 12 की बालिकाओं के गणित, विज्ञान और अंग्रेजी के विशेष शिक्षण की व्यवस्था की गयी है . विशिष्ट अतिथि रणवीर पाण्डेय ने कहा कि ईमानदारी और लगन से लाइब्रेरी में उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करना आवश्यक है।
मुख्य अतिथि सौम्या सिंह ने कहा कि संस्था द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके आत्मविश्वास में वृद्धि के लिए उपयोगी कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है जिसका भरपूर उपयोग कर ग्रामीण बच्चियां अपने सपनो को साकार कर सकती है।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से कार्यक्रम में संचालन ज्योति सिंह, अध्यक्षता मधुरानी पाण्डेय और धन्यवाद ज्ञापन गीता पाण्डेय ने किया । इस अवसर पर प्रदीप सिंह, साधना पाण्डेय, सरोज सिंह, पूनम, मोनी कुमारी, सुनीता यादव, निक्की, रंजना, रणवीर पाण्डेय, रूबी, प्रवीण, मीनाक्षी दुबे, मंजरी, रूपांशी, मानवी, पूजा, वन्दना, आरुशी, नेहल, श्रुति, सोनम, गुडिया, विधि, अदिति, ख़ुशी, कशिश,आकांक्षा, सपना, पूनम, स्वाती, रिया आदि की उपस्थिति रही।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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