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गाजीपुरसाहित्य

कवि उमाशंकर पथिक की आठवीं पुस्तक चंद्रगुप्त मौर्य का हुआ लोकार्पण

जो सो रहे हैं जगा के देखो, मसाल दिल में जला के देखो……पुकार गाज़ीपुर

गाजीपुर। ख्यातिप्राप्त पत्रकार एवं समाज सेवी सूर्य कुमार सिंह के कुशल संयोजन एवं दिनेश शर्मा के संचालन में पुस्तक विमोचन समारोह सह भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन दो सत्र में संपन्न हुआ् जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात एडवोकेट सीताराम राय ने की।प्रथम सत्र में वरिष्ठ कवि उमाशंकर यादव ‘पथिक’ की आठवीं पुस्तक ‘चंद्रगुप्त मौर्य’का लोकार्पण किया गया।डाॅ० श्रीकान्त पाण्डेय ने पथिक जी को बधाई देते हुए कहा कि कवि कर्म एक महान साधना है। पथिक जी ने एक ऐतिहासिक कथानक को‌ बहुत ही सुन्दर ढंग से महाकाव्य  के रूप में प्रस्तुत किया है।बतौर मुख्य अतिथि तीन महाकाव्य के रचयिता कामेश्वर द्विवेदी ने कहा कि पथिक के काव्य में सत्यं शिवम् सुन्दरम् का समावेश है। विप्र चाणक्य एक दलित प्रतिभा की परख कर उसे महान सम्राट बनाया।

कार्यक्रम के द्वितीय सत्र का शुभारम्भ कामेश्वर द्विवेदी द्वारा मधुर सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ। इस मौके पर उपस्थित नागेश मिश्र, मनोज कुमार सिंह यादव, विजय नारायण तिवारी, उमाशंकर यादव पथिक, संतोष सिंह, अनिल कुमार सिंह, संंजय कुमार पाण्डेय, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित औषधि पंडित रंग बहादुर सिंह, अमर नाथ तिवारी और बादशाह राही ने अपनी सरस रचनाओं से वातावरण को‌ रससिक्त कर दिया।

कोलकाता के प्रख्यात ग़ज़लकार राम पुकार सिंह “पुकार गाज़ीपुरी” ने “जो सो रहे हैं जगा के देखो/मशाल दिल में जला के देखो।” सुनाई तो सभागार तालियों से अनवरत गूँजता रहा। दिनेश शर्मा ने “मेरी इल्तिज़ा यहीं है मेरी बात मान जाओ” सुनाकर यह सन्देश दिया कि हमें परहित के पथ पर चलना है।मुख्य अतिथि कामेश्वर द्विवेदी ने “कर कंज में वीणा सुवाद्य सजे” सुनाकर उपस्थित लोगों की वाह वाही बटोरी।अध्यक्षता कर रहे सीताराम राय ने पुस्तक सह सभी कलमकारों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहे कि आज के दौर में ऐसे रचनाकारों से ही देश और समाज का कल्याण सम्भव है।कार्यक्रम के अन्त में सूर्य कुमार सिंह ने सबके‌ प्रति‌ आभार जताते हुए कार्यक्रम समापन की‌ घोषणा ‌की।

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