Slide 1
Slide 1
एजुकेशनगाजीपुर

भारतीय समाज, संस्कृति और जीवन मूल्यों का दर्पण है संस्कृत कथा साहित्य : रमेश चन्द्र

गाजीपुर। स्नातकोत्तर महाविद्यालय,  गाजीपुर के भाषा संकाय के अन्तर्गत संस्कृत विभाग की पूर्व शोध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन विभागीय शोध समिति एवं  अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार कक्ष में किया गया। जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे। उक्त संगोष्ठी मे संस्कृत विभागके शोधार्थी रमेश चंद्र ने अपने शोध-प्रबन्ध शीर्षक “संस्कृत कथा साहित्य में वासवदत्ता एवं दशकुमारचरितम् का तुलनात्मक अध्ययन” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि संस्कृत कथा साहित्य केवल साहित्यिक मनोरंजन का साधन नहीं अपितु भारतीय समाज, संस्कृति और जीवन मूल्यों का दर्पण भी है। वासवदत्ता और दशकुमारचरितम् दोनों कृतियाँ अपने-अपने आयामों में अनुपम हैं और तुलनात्मक अध्ययन से नई दृष्टि प्राप्त होती है। ”वासवदत्ता को प्रेम एवं भावुकता प्रधान गद्यकाव्य तथा दशकुमारचरितम् को राजनीति, नीति और व्यवहार का यथार्थ चित्रण करने वाला ग्रंथ बताया। वासवदत्ता प्रेम, श्रृंगार और करुण रस की दृष्टि से अद्वितीय है। दशकुमारचरितम् राजनीति, नीति, कूटनीति और जीवन-व्यवहार का जीवंत दर्पण है। तुलनात्मक अध्ययन से संस्कृत कथा साहित्य की व्यापकता एवं गहनता स्पष्ट होती है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी रमेशचन्द्र ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे०(डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह  शोध निर्देशक डॉ०(श्रीमती) नन्दिता श्रीवास्तव, संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० समरेन्द्र नारायण मिश्र, प्रोफे०(डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ०रामदुलारे, डॉ० अशोक कुमार, डॉ० अमरजीत सिंह,  डॉ० कमलेश, प्रोफे०(डॉ०) सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ० उमानिवास मिश्र, डॉ०स्मृति जायसवाल, डॉ० मनोज कुमार मिश्रा, डॉ० पीयूष कांत सिंह, प्रदीप सिंह एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत मे डॉ० समरेंद्र नारायण मिश्र ने सभी का आभार व्यक्त किया और संचालन अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे०(डॉ०) जी० सिंह ने  किया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button