
असगर अली
देवरिया। सलेमपुर के ईचौना पश्चिमी वार्ड में हिंदी दिवस पखवाड़े के तहत एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रसिद्ध साहित्यकार एवं कवि गिरिधर करुण को सम्मानित कर उनकी नई पुस्तक ‘कोरे कागज के आखर’ का विमोचन किया गया।अपने संबोधन में गिरिधर करुण ने कहा कि हिंदी भारत के गौरव, एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। करुण ने बताया कि 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। उन्होंने इसके अधिक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। सेंट जेवियर्स स्कूल के प्रधानाचार्य वीके शुक्ल ने संविधान के अनुच्छेद 343 का उल्लेख करते हुए बताया कि हिंदी भारत संघ की राजभाषा बनी।उन्होंने यह भी जानकारी दी कि बिहार देश का पहला राज्य था जिसने उर्दू के स्थान पर हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया।शुक्ल ने बताया कि हिंदी पूरे विश्व में तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। पूर्व प्रधानाचार्य नरसिंह तिवारी ने हिंदी को विश्व की प्राचीन और समृद्ध भाषाओं में से एक बताया। उन्होंने कहा कि देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली यह भाषा सरल और वैज्ञानिक मानी जाती है। पूर्व प्रधानाचार्य भागीरथी प्रसाद ने जानकारी दी कि वर्ष 1953 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संसद भवन में 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी।इस संगोष्ठी को कवि संजय मिश्र,अश्विनी पांडेय, राजेश्वर द्विवेदी, डॉ. धर्मेंद्र पांडेय, रामविलास तिवारी, अवनीश चंद्र भास्कर, दीनदयाल यादव, केपी गुप्त, आनंद उपाध्याय, एसएन मिश्र, गोपाल यादव, मनीष रजक, राकेश यादव, सीपी शुक्ल और फैज इमाम सहित कई अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।




