
डॉ जय सिंह की पुस्तक शिक्षण कौशल का विमोचन
आज सरकार विस्थापन को दे रही बढ़ावा आदिवासियों की बोली रोजगार छूट रहा :प्रो अनूप
त्रिलोकी नाथ राय
गाजीपुर। नगर के लंका मैदान के कम्यूनिटी हाल मे अंतरराष्ट्रीय सेमिनार आज रविवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। प्रथम सत्र की अध्यक्षता पटना की प्रसिद्ध लेखिका डॉ.ज्योत्स्ना प्रसाद ने किया। प्रो. संतोष कुमार सिंह, प्रो. सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी,नेपाल से श्री शिवनंदन जायसवाल,डॉ. शंकर मुनि राय,अमेरिका से माइकल टी. बेनोलेक, आदि ने अपने विचार रखें। सत्र के मुख्य वक्ता डॉ राकेश सिंह रहे। इस दौरान प्रकृति सिंह एवं ज्योति सिंह ने अपने शोध पत्रों का वाचन किया। डॉ. राकेश पाण्डेय ने इस सत्र संचालन किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. उमा निवास मिश्र ने किया।कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर सविता भारद्वाज, श्री पृथ्वीराज सिंह एवं प्रोफेसर सरिता बुद्धू का उद्बोधन हुआ। अध्यक्षता काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर अनुप वशिष्ठ ने किया। प्रोफेसर सविता भारद्वाज,डॉ पृथ्वीराज सिंह, प्रोफेसर सरिता बुद्धु, व्याख्यान दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर अनुप वशिष्ठ ने वर्तमान दौर के भाषा, संस्कृति एवं अस्मिता के संकट पर चर्चा की। आपके अनुसार सरकारे विस्थापन को बढ़ावा दे रही हैं। इस कारण आदिवासियो की बोली, खान-पान, पहनावा, रोजगार सब कुछ छूट रहा है। अब गांव में युवा नहीं है, सिर्फ वृद्धि बच्चे हैं। युवा पीढ़ी जहां है वहां रिक्तता है। आपके अनुसार लोक से पहले शास्त्र हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ शिवकुमार एवं सेमिनार की रिपोर्ट एवं आभार ज्ञापन डॉ रामनाथ तिवारी ने प्रस्तुत किया। इस दौरान डॉ जय सिंह की पुस्तक ‘शिक्षण कौशल’ का विमोचन सारस्वत अतिथियों द्वारा किया गया। इससे पूर्व सारस्वत अतिथियों का सेमिनार के संयोजक डॉ शेर खान, डॉ जितेंद्र राय, डॉ शशि कला जायसवाल, डॉ संतोष सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ सुशील तिवारी, डॉ प्रमोद श्रीवास्तव, डॉ अरुण प्रताप, डॉ घनश्याम कुशवाहा,एडीएम सिटी दिनेश कुमार आदि सम्मानितगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंतिम चरण के रूप में लोक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। गाजीपुर के कलाकारों की मुख्य भूमिका रही। इस अवसर पर बिटिया की विदाई नामक लोकनाट्य प्रस्तुत की गई तथा पवन बाबू के नेतृत्व में भोजपुरी कलाकारों ने शाम की रंगत जमाई।




