कांग्रेस के लोकतंत्र पर आपातकाल की भयावहता की स्मृतियां आज भी जीवित: एके शर्मा

कांग्रेस में चेहरे बदले, तानाशाही की प्रवृत्ति और सत्ता का लोभ आज भी: विनोद बिंद
आफताब अंसारी/भदोही। कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल के 50वां वर्ष पूरे होने पर बुधवार को श्री इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज में जिलाध्यक्ष दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में संगोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि प्रभारी मंत्री भदोही व ऊर्जा मंत्री ए के शर्मा ने कहा कांग्रेस के लोकतंत्र पर कुठारघात के 50 वर्ष लोकतंत्र को छत विच्छत कर रक्तरंजित करने वाले आपातकाल की भयावहता इस स्मृतियां में जीवित है।कांग्रेस अपने दंभ और अहंकार में तानाशाही और दमन की पराकाष्ठा से 50 वर्ष पूर्व लोकतांत्रिक मूल्यों पर संवैधानिक व्यवस्थाओं पर सीधा हमला किया था। 25 जून 1975 की आधी रात की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया। यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था।कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों को मौलिक अधिकार को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया। जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है। वह संवैधानिक और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटती।
भदोही सांसद विनोद बिंद ने कहा कि आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस इस मानसिकता के साथ चल रही। मार्च 1971 में लोकसभा चुनाव में भारी बहुमत से जीतने के बावजूद इंदिरा गांधी की वैधानिकता को चुनौती मिली। 8 मई 1974 को जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में ऐतिहासिक रेल हड़ताल 1974 में गुजरात में इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया। राष्ट्रपति शासन 1975 में लगने वाले आपातकाल की एक शुरुआत थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस समय साधारण कार्यकर्ता हुआ करते थे। उनके जैसे लाखों समर्पित स्वयंसेवकों ने रातों रात रेलों में पर्चे बांटे। इंदिरा गांधी की तानाशाही का सबसे भायावाह चेहरा यह था। लोकसभा का कार्यकाल 5 से बढ़कर 6 साल कर दिया। जनता को मतदान का अवसर न मिले।आज कांग्रेस में चेहरे बदल गए लेकिन तानाशाही की प्रवृत्ति और सत्ता का लोभ आज भी है। 50 वर्ष बाद आज आपातकाल को याद करना इसीलिए भी आवश्यक है बिहार में कांग्रेस सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ने लगा।1975 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाना और देश की छवि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खराब करना कांग्रेस की नई डिजिटल इमरजेंसी रणनीति बन चुकी है। इस संगोष्ठी में प्रमुख रूप से पूर्व मंत्री रंगनाथ मिश्रा, पूर्व सांसद गोरखनाथ पांडेय, जिला पंचायत अध्यक्ष अनिरुद्ध त्रिपाठी, पूर्व विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी, विधायक औराई दीनानाथ भास्कर, विधायक ज्ञानपुर विपुल दुबे, क्षेत्रीय मंत्री आशीष सिंह, डॉ अश्विनी मौर्य, मदन लाल बिंद, कार्यक्रम संयोजक पूर्व जिला अध्यक्ष युवा मोर्चा गोरेलाल पांडेय, अध्यक्ष विनय श्रीवास्तव, हौसला प्रसाद पाठक, संतोष पांडे, गोरेलाल पांडे, योगेंद्र सिंह ,गोवर्धन राय, सत्यसिल, गुप्ता लालता प्रसाद ,सोनकर संतोष तिवारी, अभय राज सिंह, भरत राज सिंह, मंडल अध्यक्ष राकेश गुप्ता, शिवम तिवारी, दीपक सिंह, योगेश राय, अखिलेश तिवारी ,पप्पू तिवारी, आदि उपस्थित रहे।




