
श्रद्धा और समर्पण का अद्वितीय प्रतीक
सुशील कुमार मिश्र/ वाराणसी । संकट मोचन मंदिर, वाराणसी में आज का दिन ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रहा। संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी की पुण्यतिथि पर, मंदिर में एक विशेष घंटा (घण्ट) प्रतिष्ठित किया गया जिसका वज़न 1100 किलोग्राम है। यह आयोजन श्रावण श्यामा तीज शनि को सम्पन्न हुआ। इसी दिन तुलसीदास जी ने अपने नश्वर शरीर का त्याग किया था, जैसा कि कहा गया है। “श्रावण श्यामा तीज शनि, तुलसी तज्यो शरीर।” श्रद्धालुओं के समर्पण से बनी यह अद्वितीय धरोहर: यह घंटा सामान्य नहीं है। अपनी श्रद्धा और भक्ति में श्रद्धालुओं ने वर्षों तक छोटे-छोटे पीतल की घंटियाँ संकलन हेतु अर्पित कीं। उन सभी घंटियों को कोरोना काल में मंदिर प्रशासन ने एकत्र कर, पिघलाकर एक विराट घंटा निर्माण कराया, जो अब संकट मोचन महाबली हनुमान जी के मंदिर में गूंज रहा है।
निर्माण और विशेषताएं :
• वजन: 1100 किलो (1.1 टन)
• धातु: शुद्ध पीतल
• विशेषता: भक्तों के अर्पण से निर्मित
• स्थान: संकट मोचन मंदिर प्रांगण
• समय: श्रावण मास के पावन अवसर पर, तुलसीदास जी की पुण्यतिथि पर बोलते हुए
मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने कहा कि:
“यह घंटा भक्तों की भावनाओं का समर्पण है। ये सिर्फ धातु नहीं, आस्था का पिघलता हुआ स्वरूप है। संकट मोचन हनुमान जी के चरणों में यह सामूहिक अर्पण निश्चित ही एक ऐतिहासिक परंपरा की शुरुआत करेगा।” संकट मोचन मंदिर का यह नया घंटा केवल मंदिर की शोभा नहीं, बल्कि हर भक्त की आस्था की प्रतीकता है — जो आने वाले युगों तक गूंजती रहेगी।
एक भावात्मक श्रद्धांजलि: तुलसीदास जी, जिन्होंने रामचरितमानस और हनुमान चालीसा जैसे अमर ग्रंथों की रचना की, आज उनकी पुण्यतिथि पर यह सामूहिक भेंट उन्हें एक भावात्मक श्रद्धांजलि है।




