कुशीनगर:साहब! गले से नहीं उतर रहा बाइक उत्तर पुस्तिका गिरकर गुम होने का मामला

🔴 उत्तर पुस्तिका गिरकर गुम हुई या गायब कराया गया, बना है अबूझ पहेली
🔴 सोहसा मठिया स्थित जनता इंटरमीडिएट कालेज का उत्तर पुस्तिका गायब होने का मामला
🔴 संजय चाणक्य
कुशीनगर। बीते दिनों बोर्ड परीक्षा के दौरान जिस तरह से फाजिलनगर विकास खण्ड क्षेत्र के नकटहा मिश्र स्थित अशोक विद्यापीठ इंटर कालेज मे रिजर्व पेपर से परीक्षा कराये जाने के मामले को डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त झुठला रहे थे और आम लोगो को डीआईओएस की बात गले से नही उतर रही थी ठीक उसी तरह से सोहसा मठिया स्थित जनता इंटरमीडिएट कालेज का उत्तर पुस्तिका बाइक से गिरकर गुम होने की बात लोगो को हजम नही हो रही है।
शिक्षा विभाग से जुडे लोग हो या फिर आम जनमानस सबके जेहन में बस एक ही सवाल है क्या सचमुच उत्तर पुस्तिका रास्ते मे गिरकर गुम हो गयी या फिर उसे गायब किया गया है? क्योंकि प्रधानाचार्य कपिलदेव प्रसाद का यह तर्क किसी के गले नही उतर रहा है कि उत्तर पुस्तिका का बण्डल उस समय रास्ते मे गिरकर कही गुम हो गया जब वह संकलन केन्द्र पर जमा करने जा रहे थे।
बतादे कि 7 मार्च को
जनपद के कसया थाना क्षेत्र के सोहसा मठिया स्थित बोर्ड परीक्षा केन्द्र बने जनता इंटर कॉलेज परीक्षा केंद्र पर प्रथम पाली में हाईस्कूल के तकरीबन 283 छात्रो ने अंग्रेजी विषय की परीक्षा दी थी। प्रधानाचार्य व विभाग द्वारा तैयार किये गये स्क्रीप्ट के मुताबिक केन्द्र व्यवस्थापक /प्रधानाचार्य कपिलदेव प्रसाद परीक्षा समाप्त होने के बाद उत्तरपुस्तिका का बण्डल बाइक पर पीछे बाधकर अकेले बुद्ध इंटरमीडिएट कालेज कुशीनगर के संकलन केंद्र पर जा रहे थे कि रास्ते मे उत्तरपुस्तिका का बण्डल कही गिर गया।
मजे की बात है कि 283 उत्तर पुस्तिकाओ का बंडल (वजन लगभग बीस किलोग्राम) बाइक से कही गिर गया और चालक रुपी प्रधानाचार्य को इसकी भनक तक नही लगी, जबकि ऐसी परिस्थिति मे बाइक का लहराना व सडक पर कोई सामान गिरने पर राहगीरों द्वारा चिल्लाना आम बात है। ऐसे मे प्रधानाचार्य के बाइक से रास्ते मे उत्तर पुस्तिका का सडक पर गिरना और फिर सडक पर से उत्तर पुस्तिका का अदृश्य हो जाना आम लोगो के गले नही उतर रहा है। यही वजह है कि आज भी यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है कि उत्तर पुस्तिका गुम हुआ है या फिर गायब किया गया है?
कहते है जानकार
माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से जुडे जानकारों का कहना है कि बोर्ड का पेपर अथवा उत्तर पुस्तिका पल भर के लिए भी गुम हो जाती है तो डीआईओएस को तत्काल केन्द्र व्यवस्थापक /प्रधानाचार्य पर मुकदमा दर्ज कराकर बार्ड से अनुमति लेकर परीक्षा निरस्त की घोषणा करनी चाहिए थी। यह सारी प्रक्रिया अपरान्ह तीन बजे तक हो जानी चाहिए थी। इसके बाद प्रधानाचार्य का निलंबन के साथ कंट्रोल रूम प्रभारी के खिलाफ भी यह यही कार्रवाई होनी चाहिए थी। किन्तु ऐसा नही हुआ। देर रात को आधा-अधूरा कार्रवाई कर डीआईओएस ने पुरे मामले का पटाक्षेप ऐसे कर दिया जैसे कोई सामान्य घटना हो। सूत्र बताते है कि डीआईओएस श्रवण कुमार गुप्त व जनता इंटरमीडिएट कालेज के प्रधानाचार्य कपिलदेव प्रसाद मिलकर इस मामले को पचाने के लिए पुन: कापी लिखवाकर संकलन केन्द्र पर जमा कराने के फिराक में थे किन्तु संकलन केन्द्र प्रभारी इनके कुकृत्य का राजदार बनने से साफ इंकार कर दिया।
यही वजह है कि संकलन केन्द्र प्रभारी से खार खाये डीआईओएस ने जनता इंटरमीडिएट कालेज के केन्द्र व्यवस्थापक /प्रधानाचार्य कपिलदेव प्रसाद के साथ साथ संकलन केन्द्र प्रभारी /बुद्ध इंटरमीडिएट कालेज के प्रधानाचार्य उमेश उपाध्याय के खिलाफ तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करा दिया। सूत्रो के इस दावे में कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है। सूत्रो का यह भी दावा है कि जब मामला मीडिया के संज्ञान में आया और मीडिया लगातार डीआईओएस व प्रधानाचार्य सहित उच्चाधिकारियों से संपर्क कर मामले की जानकारी लेने का प्रयास किया तो डीआईओएस ने खुद को और कंट्रोल रूम प्रभारी को बचाते हुए दोषी के खिलाफ आधा-अधूरा कार्रवाई करते हुए बेकसूर संकलन केन्द्र प्रभारी के लपेटते हुए मामले का इतिश्री कर दिया।
क्या कहता है कानून
जानकारों की माने तो सार्वजनिक परीक्षा की शुचिता व गोपनीयता भंग करने व पेपर लीक करने या गलत जानकारी देने पर अनुचित साधन निवारण अधिनियम के तहत दस साल की जेल और दस लाख रुपये का जुर्माना है। इतना ही नही पेपर लीक और नकल समेत परीक्षा से जुडी गड़बडिय़ों में परीक्षा संस्थान या परीक्षा कराने वाली एजेंसी शामिल पाई जाती है तो उससे उस परीक्षा का पुरा खर्च वसूला जायेगा। साथ ही उसकी संपत्ति भी कुर्क और जब्त की जा सकती है। जो जनता इंटरमीडिएट कालेज के केन्द्र व्यवस्थापक /प्रधानाचार्य पर लागू हो रहा है।