नई दिल्ली

जिसके अंदर संकल्प हो सेवा का माध्यम हो तो देश को पाताल से आसमान तक पहुचाया जा सकता है- डॉ बिनोद बिंद

बजट सत्र के दौरान भदोही सांसद डॉ बिनोद बिंद ने अपने कार्यक्षेत्र में रेलवे की समस्याओं से रेल मंत्री को अवगत कराया

दिल्ली । भदोही सांसद डॉ बिनोद बिन्द ने देर रात लोकसभा सदन की कार्यवाही के दौरान रेलवे बजट सत्र मे अपने लोकसभा क्षेत्र के रेलवे की समस्याओ के मांगो को लेकर रेल मंत्री को अवगत कराते हुए कहा कि मोदीजी के कुशल नेतृत्व, देश की उन्नति उनकी दूरदृष्टि और भारत को एक विकसित भारत बनाने के लिए उनकी संकल्प व उपलब्धियों को भारत ही नही पूरी दुनिया सराहना कर रहा है । प्रधानमंत्री मोदी जी किसी एक व्यक्ति के लिए नही सोचते है बल्कि भारत के 140 करोड़ जनता के लिए सोचते है ।उनकी सोच प्रत्येक देश की जनता के लिए होती है । डॉ बिनोद बिंद ने मोदी जी की तारीफ करते हुए एक कविता के माध्यम से कहा कि “मुठ्ठी में कुछ सपने लेकर, भरकर जेबों में आशाएं ।

दिल में है अरमान यही, कुछ कर जाएं… कुछ कर जाएं… । ।

सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे ।

सूरज-सा तेज़ नहीं मुझमें, दीपक-सा जलता देखोगे…

अपनी हद रौशन करने से, तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे ।

मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है…
मैं उस माटी का वृक्ष नहीं जिसको नदियों ने सींचा है …
बंजर माटी में पलकर मैंने…मृत्यु से जीवन खींचा है… ।
मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ… मैं पत्थर पर लिखी इबारत हूँ ..
शीशे से कब तक तोड़ोगे..

मिटने वाला मैं नाम नहीं… तुम मुझको कब तक रोकोगे… तुम मुझको कब तक रोकोगे…।।

इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है…

इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं, उतने सहने की ताकत है ….

तानों के भी शोर में रहकर सच कहने की आदत है । ।

मैं सागर से भी गहरा हूँ.. मैं सागर से भी गहरा हूँ…
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे ।

चुन-चुन कर आगे बढूँगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोकोगे..।।

झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं..

झुक-झुककर सीधा खड़ा हुआ, अब फिर झुकने का शौक नहीं..

अपने ही हाथों रचा स्वयं.. तुमसे मिटने का खौफ़ नहीं…

तुम हालातों की भट्टी में… जब-जब भी मुझको झोंकोगे…

तब तपकर सोना बनूंगा मैं… तुम मुझको कब तक रोकोगे…तुम मुझको कब तक रोक़ोगे…।।

उन्होंने कहा कि जब 2014 में मोदी जी पहली बार प्रधानमंत्री बने उस समय देश चुनौतियों से घिरा हुआ था लेकिन उन्होंने सिद्ध कर दिया कि जिसके अंदर संकल्प हो सेवा का माध्यम हो तो देश को पाताल से आसमान तक पहुचाया जा सकता है । जिसके लिए प्रधानमंत्री ने प्रयास किया । आज 2014 के भारत व 2024 के भारत मे बहुत अंतर हो गया । उन्होंने कहा कोई भी देश तभी विकशित हो सकता है जब वहां मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो वहां का इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत हो ।

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