एजुकेशन

हिजाब पर फिर विवाद, बिना एग्जाम दिए लौटी छात्राएं

जौनपुर के सर्वोदय इंटर कालेज का मामला

जौनपुर। उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में बोर्ड परीक्षा के दौरान एक बार फिर हिजाब का विवाद  (Hijab Controversy) सामने आया है। आलम यह है कि हिजाब पहन कर परीक्षा देने आयीं छात्राओं को हिजाब हटाने को कहा गया तो उन्होंने हिजाब हटाने से मना कर परीक्षा ही छोड़ दी।

दरअसल यूपी के जौनपुर जिले में परीक्षा देने आई छात्राओं को हिजाब हटाने के लिए कहा गया, तो उन्होंने ऐसा नहीं करने के लिए इसे अपने धार्मिक अधिकार का हनन बताया और परीक्षा छोड़ने का फैसला कर लिया मगर हिजाब नहीं उतारा। इस दौरान वो बिना पेपर दिए ही घर लौट गईं। छात्राओं का आरोप था कि उन्होंने सेंटर इंचार्ज से कहा कि चेहरे का मिलान एडमिट कार्ड से कर लें और परीक्षा हाल में हिजाब पहन कर परीक्षा देने दें रहने दें मगर केंद्र व्यवस्थापक ने कहा कि हिजाब उतार कर गेट के पास रखकर ही हाल में जाना होगा दुपटटा भी सिर पर नहीं रखना है। इसकी जानकारी अभिभावक भी पहुंचे मगर बहस के बाद भी जब हिजाब पहन कर परीक्षा देने से मना कर दिया गया तो सभी बिना पेपर दिए लौट गयी। अभिभावक अहमदुल्लाह का कहना था कि उनके परिवार की दस बच्चियों के कैरियर से खिलवाड़ किया गया है। दस बच्चियों ने हिजाब हटाने के चलते परीक्षा छोड़ दी।

घटना जौनपुर जिले के खुदौली के सर्वोदय इंटर कॉलेज की है, जहां यूपी बोर्ड की 10 वीं की परीक्षा हो रही थी। परीक्षा केंद्र पर छात्राओं को हिजाब हटाने को कहा गया और ड्रेस कोड का हवाला दिया गया कहा गया कि एग्जाम में ड्रेस कोड का पालन करना होता है, जिसमें चेहरा पूरी तरह से दिखना चाहिए, ड्यूटी में लगे शिक्षकों ने छात्राओं से हिजाब हटाने को कहा, तो उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। शिक्षकों का कहना था कि  उन्हें समझाने की कोशिश की कि परीक्षा में सुरक्षा कारणों से चेहरा दिखाना ही होगा। इस पर छात्राएं यह कहते हुए बिना एग्जाम दिए चली गई कि हिजाब नहीं हटाएंगी। जाहिर है कि बोर्ड नियमों के अनुसार अब यह सभी छात्राएं दोबारा परीक्षा में इस बार शामिल नहीं हो पायेगी। उनका एक साल बर्बाद होना तय माना जा रहा है मगर छात्राओं और अभिभावक का कहना है कि जानबूझकर छात्राओं को एग्जाम से रोका गया है।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button