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मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए मातृभाषा की ओर लौटना ही एक विकल्प-डा. शाही

वीकेएम में सर्जना का तीसरा दिन हुई पांच गतिविधियां

वाराणसी। वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा, वाराणसी में सप्ताह व्यापी सांस्कृतिक एवं अकादमिक मंच ‘सर्जना’ में आज 21 फरवरी को तीसरे दिन पांच प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने अपनी वाचन एवं लेखन शैली का लोहा मनवाया। निबंध लेखन, कविता पाठ, वाग्मिता, टर्न कोट तथा वाद – विवाद प्रतियोगिताओं में छात्राओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। आयोजन में लगभग 450 छात्राओं ने हिस्सा लिया। सर्जना की संयोजक प्रो. सीमा वर्मा एवं सह-संयोजक प्रो. सुमन सिंह ने आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि सर्जना के तहत् मातृभाषा दिवस का आयोजन भी किया गया जिसमें छात्राओं ने अपनी मातृभाषा में काव्य प्रस्तुतियां दीं। आयोजन में मुख्य अतिथि प्रो.सदानंद शाही (पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, बीएचयू) ने भोजपुरी कविता के पाठ के साथ ही कहा कि मातृभाषा का रास्ता जीवन और सभ्यता का रास्ता है। मातृभाषा से विमुखता मनुष्यता से विमुखता है। आज ऐसी पीढ़ी का निर्माण हो रहा है जो भाषा विमुख है। इसलिए मानवीय मूल्यों की स्थापना के लिए मातृभाषा की ओर लौटना ही एक विकल्प है। अंग्रेजी विभाग (बीएचयू) से प्रो. बानीब्रत महंता ने मातृभाषा के प्रति जागृत रहने की आवश्यकता के साथ ही कविता की रचना प्रकिया पर प्रकाश डाला। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए मातृभाषा की मिठास और प्रगाढ़ता की बात की। प्रो.आशा यादव ने मातृभाषा को अस्मिता की पहचान कराने वाले दिवस के रूप में बताते हुए भोजपुरी में स्वरचित काव्यपाठ किया।प्रतियोगिताओं में संयोजन डॉ. मंजू कुमारी, डॉ. शशिकेश कुमार गौड़, डॉ. आरती चौधरी, डॉ. पूर्णिमा, डॉ.आरती कुमारी, राजलक्ष्मी ने किया। निर्णायक मंडल में डी.ए.वी. कॉलेज के इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो. विनोद चौधरी एवं डॉ. शिवनारायण तथा डॉ.अखिलेश कुमार राय, डॉ.सपना भूषण, डॉ. सुप्रिया सिंह, डॉ. मालविका, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. प्रीति विश्वकर्मा, डॉ. प्रियंका पाठक , प्रसीद चौधरी ने प्रतिभागियों के बौद्धिक एवं सृजनात्मक प्रदर्शन की सराहना की।

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मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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