एजुकेशनस्पोर्ट्स

कबड्डी और खो-खो में रेड हाउस रही विजेता, बैडमिंटन का फाइनल 8 को

ब्रिलियंट ओरियंटल स्कूल में इंद्रधनुष खेल प्रतियोगिता का आयोजन

फतेहपुर। ब्रिलियंट ओरियंटल स्कूल में इंद्रधनुष खेल प्रतियोगिता के दौरान सोमवार को बच्चों ने कबड्डी, खो-खो, टग आफ वार, बैडमिंटन में अपने जौहर दिखाए। खो-खो में रेड हाउस की टीम विजेता रही। टीम की कप्तान हेरा थीं। विजेता टीम में अलिबा, रिजा, हबीबा, अरमिश, नायरा, अर्शिया, आयत, अरीबा, माहे अना, आलिया शामिल रहीं।

कबड्डी में यलो और रेड हाउस के बीच फाइनल खेला गया। इसमें यलो को हरा कर रेड हाउस विजेता रही। रेड हाउस में अब्दुल रहमान, साद फारूकी, अयान, नावेद, काशिफ, फरहान, अलशान शेख, हैदर अली आदि खिलाड़ी रहे। बैडमिंटन में रेड, ग्रीन, यलो , ब्लू शामिल हैं। इन टीमों का फाइनल मैच 8 जनवरी को खेला जाएगा। फाइनल में पहुंचने वाली टीमों के खिलाड़ियों में ब्लू हाउस से उजैर हुसैन, सुफियान खान, यलो हाउस से मोहम्मद अहमद, और मुबश्शिर, रेड हाउस से हैदर अली और असद, ग्रीन हाउस से अम्मार अली और हस्सान रजा शामिल रहे।

टग आफ वार में चार टीमों ने भाग लिया। इसमें रेड और ग्रीन हाउस फाइनल में पहुंची। इस गेम की अंपायर उम्मे सारा थीं। स्क्रैबल बोर्ड गेम ग्रीन हाउस और यलो हाउस के बीच खेला गया। इसमें यलो हाउस फाइनल में जीत गया। टीम में मुबश्शिरा, आयशा, शहरीन आदि रहीं। कबड्डी प्रतियोगिता की अंपायर सानिया मिर्जा, फरहीन नकवी, खो-खो में नेहा, बैडमिंटन में शबाहत, ताहिर हसन रहे। खेलों के आयोजन में आसफा फारूकी, अफजल, ताहिर हसन, जुलेखा, उम्मे सारा, इरम नकवी, अर्शी खान, उबैद, अरशद नूर, ताहिर हुसैन, वकील अहमद आदि शामिल रहे।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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