
श्रीराम लीला के दूसरे दिन प्रभु श्रीराम का जन्म, नामकरण, बाल चरित्र, विश्वामित्र आगमन, तड़कावध, मारीच उद्धार, आदि प्रसंग का हुआ मंचन
आफताब अंसारी
भदोही। नगर के मर्यादपट्टी स्थित रामलीला प्रांगण में
चल रहे श्रीराम लीला के दुसरे दिन अयोध्या के कलाकारो द्वारा प्रभु श्रीराम का जन्म, नामकरण, बाल चरित्र, विश्वामित्र आगमन, तड़कावध, मारीच उद्धार, आदि का प्रसंग को सुंदर व विस्तृत ढंग से मंचन किया। मंचन देख दर्शक भाव विभोर कर दिया।
इस दौरान जब प्रभु राम का जन्म हुआ तो दर्शक दीर्घा जय श्रीराम के जयकारे से गूज उठा। आतिशबाजी के बीच बच्चों में टाफी बांटे गए। लीला देखने के लिए सैकडो की संख्या में महिला पुरुष श्रद्धालु उपस्थित रहे। देर शाम 7 बजे अयोध्या के कलाकारो ने हनुमान चालिसा का पाठ कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
अयोध्या के राजा दशरथ की उम्र बीतती जा रही थी। कोई संतान नही था। उनको राज पाठ की चिंता सताए जा रही थी। वह दुखी रहने लगे। राजा दशरथ ने अपना दुख कुलगुरु वशिष्ठ को बताया। उनके कहने पर श्रृंगी ऋषि के आश्रम में पुत्रेष्ठि यज्ञ करवाने की याचिका किया। यज्ञ के दौरान अग्नि देवता प्रकट होते है और राजा दशरथ को पायस’ भरा कटोरा देते है। तब श्रृंगी ऋषि वह पायस तीनो रानियो को खिलाने को कहते है। राजा दशरथ ने वही किया पायस तीनो रानियो को खिलाया। कुछ दिनो बाद तीनों रानियों को चार पुत्र पैदा होते है। बडी रानी कौशल्या से राम, कैकेई से भरत, व सुमित्रा से लक्ष्मण व शत्रुधन पैदा होते है। अयोध्या में खुशी का माहोल हो जाता है।मंगलगान होने लगता है। कालाकारो द्वारा नामकरण का प्रसंग भी खूब सराहा गया। वशिष्ठ जी द्वारा चारों भाइयों का नामकरण कराते है। धीरे-धीरे चारों भाई बडे होने लगते है। वशिष्ठ जी के आश्रम में जाकर शिक्षा व धनुष व वाण चलाना सिखते है। आचानक एक दिन विश्वामित्र का आगमन अयोध्या में होता है।राक्षसो से यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को साथ ले जाने का आग्रह करते है। लेकिन राजा दशरथ अभी पुत्र छोटे है कह कर टाल देते है। विश्वामित्र के बार बार आग्रह व वशिष्ठ जी के कहने पर राजा दशरथ राजी हो जाते है। विश्वामित्र राम और लक्ष्मण को लेकर जंगल की ओर चल देते है। तभी आश्रम के पास हड्डियों का ढेर दिखाई पडता है। राम-लक्ष्मण के पूछने पर विश्वामित्र ने बताया की ऋषि मुनियों की अस्थियां है। जिसे राक्षसों ने हत्या किया है। यह सुन दोनों भाई क्रोधित हो जाते है और राक्षसों का संहार करने का ब्रत लेते है। दुसरे दिन विश्वामित्र यज्ञ कराते है। तभी राक्षसी तडका, सुबाहु, और मारिच आ जाते है। दोनो भाईयों से युद्ध होता है ताडका व सुबाहु मारे जाते है और मारिच को बीना फल का वाण मारकर दूर भेज देते है और यज्ञ की रक्षा करते है। रामलीला रात 11.30 बजे तक चला। इस मौके पर पूर्व पालिकाध्यक्ष अशोक जायसवाल, दिलीप गुप्ता, विनीत बरनवाल, सत्यशील जायसवाल, सुभाष मौर्य, गिरधारी जायसवाल, तीश गांधी, भरत जायसवाल, राजेश जायसवाल, करुणा शंकर दूबे, अरविंद मौर्य, भगौती जायसवाल, प्रभु सेठ, कमलेश जायसवाल आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।




