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काशी साहित्य की नगरी: राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य

वाराणसी। भारत नवनिर्माण समिति के तत्वावधान में शुक्रवार को बनारस लिट फेस्ट के तीसरे संस्करण की शुरुआत हुई। नदेसर स्थित एक तारांकित होटल के दरबार हॉल में आयोजित बनारस लिट फेस्ट का उद्घाटन असम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य, राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश, नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने संयुक्त रूप से किया। उद्घाटन समारोह में राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य ने कहा कि काशी धर्म और साहित्य की नगरी है।

इस तरह का आयोजन काफी फायदेमंद साबित होगा। वैसे भी काशी में एक से बढ़कर एक साहित्यकार हुए हैं। जिन्होंने अपनी रचनाओं से देश को एक नई दिशा दी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश गौरव की ओर बढ़ रहा है। इस गौरव की वृद्धि में साहित्य की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। काशी में अब भी बहुत-सी ऐसी पांडुलिपियां हैं, जिन्हें पुस्तक के रूप में बदलने की जरूरत है।

इस अवसर पर राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने कहा कि आजादी के बाद से साहित्य के क्षेत्र में रचनाओं को विस्मृति करने का कार्य किया गया लेकिन अब पुनर्जागरण का समय है और इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से हम अपनी संस्कृति और सभ्यता को पुनः परिभाषित कर रहे हैं। उन्होंने बनारस लिट फेस्ट की सराहना कर कहा कि बहुत ही कम समय में फेस्ट ने अपनी विशेष पहचान बनाई है। वैसे तो देश में साहित्य उत्सवों की भरमार है लेकिन बनारस लिट् फेस्ट की बात सबसे अलग है। इसी प्राचीन नगरी ने आधुनिक हिंदी को जन्म दिया।

विशिष्ट अतिथि नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि बनारस लिट फेस्ट के रूप में जो सपना देख गया है यह सपना आप सब के समवेत प्रयास से यथार्थ में परिवर्तित हुआ है। इसे निरंतर बनाए रखने के लिए इस सपने को और बड़ा करके देखना होगा। अगर हम आज विचार नहीं करेंगे तो फिर अच्छे समाज का निर्माण नहीं कर पाएंगे। कोई ऐसा समाधान नहीं है जो भारत की धरती से नहीं निकले। उन्होंने कहा कि देश ही नहीं पूरे विश्व में साहित्य, कला, संगीत, आध्यात्म की बातें बनारस की चर्चा के बिना अधूरी रहेंगी। काशी ने सदा से पूरी दुनिया को दिया है। मेरा विश्वास है कि संसार की समस्त समस्याओं का समाधान भारतीय दर्शन में है। दर्शन का मूल हमारे साहित्य में है।

बनारस लिट फेस्ट को राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल, भारतीय शिक्षा बोर्ड के चयरमैन एनपी सिंह,साहित्यकार डॉ. नीरजा माधव, संयुक्त राष्ट्रसंघ की पूर्व संयुक्त महासचिव लक्ष्मी पुरी ने भी सम्बोधित किया। ज्ञान गंगा में पं. विश्वमोहन भट्ट की मोहन वीणा, कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक दियासलाई पर संवाद कार्यक्रम भी हुआ। संवाद सत्र में राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, अमीश त्रिपाठी, विक्रम संपत और इला अरुण ने भी भाग लिया। महोत्सव में शामिल होने के लिए देश-विदेश से 700 मेहमान काशी पहुंचे हैं। कार्यक्रम में नौ मार्च को पुरस्कार वितरण होगा। इसके पहले महोत्सव में तीन कवि सम्मेलन भी होंगे । इसके अलावा विभिन्न नाटकों का मंचन भी किया जाएगा।

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