उत्तर प्रदेशधर्मवाराणसी

1000 घंटे से होगा मां अन्नपूर्णा मंदिर के शिखर का कुम्भाभिषेक

– मुख्य समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे

श्रृंगेरी के शंकाराचार्य, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में अनेक संत-महंत करेंगे अभिषेक

वाराणसी भगवती अन्नपूर्णा देवी का प्रतिष्ठा एवं कुंभाभिषेक 48 वर्षों के पश्चात आगामी सात फरवरी को होगा। इसमें माता के मंदिर के शिखर का 1000 कुंभों के जल से अभिषेक किया जाएगा। जगद्गुरु शंकराचार्य दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदा पीठाधीश्वर विधुशेखर भारती महास्वामी की अध्यक्षता में होने वाले इस मुख्य समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुख्य अतिथि होंगे, जबकि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्रपुरी महाराज मुख्य अतिथि व श्रीकाशी विद्वत्परिषद के अध्यक्ष पद्मभूषण प्रो. वशिष्ठ त्रिपाठी सारस्वत अतिथि होंगे। समारोह देश के अनेक संत-महंत, साधु, पीठाधीश्वर भाग लेंगे। इस निमित्त अनुष्ठानों का आयोजन एक फरवरी से ही आरंभ हो जाएगा जो नौ फरवरी तक चलता रहेगा। इस महाआयोजन के लिए श्रीअन्नपूर्णा माता के मंदिर के शिखर से लेकर भूमि तक पूरी तरह से स्वच्छ किया गया है। वर्षों पूर्व किए गए रंग-रोगन तक को विशिष्ट पद्धतियों से हटा दिया गया है और नए सिरे से रंग-रोगन हो गया है। शिखर के कुंभाभिषेक के लिए शिखर के समानांतर ऊंचाई पर एक मंच का निर्माण किया जा रहा है। कार्यक्रम संयोजक प्रो. द्विवेदी ने बताया कि समस्त आयोजन मंदिर के महंत स्वामी शंकर पुरी के संरक्षण में संचालित किए जाएंगे।

सहस्त्र छिद्र युक्त स्वर्ण, रजत व अष्टधातु के कलश

कुंभाभिषेक के लिए सहस्त्र छिद्रयुक्त 1000 घट बनवाए गए हैं। इनमें 11 स्वर्ण कलश, 101 रजत कलश, 101 ताम्र कलश, 500 अष्टधातु कलश, 225 पीतल कलश, 11 मृदा कलश व शेष अन्य धातुओं के कलश सम्मिलित हैं। विभिन्न पवित्र नदियों एवं सागरों के जल तथा पंचामृत आदि से शिखर का कुंभाभिषेक होगा। इस दौरान काशी में उपलब्ध समस्त वेदशाखाओं के ज्ञाता विद्वान, बटुक वेदापारायण करेंगे।

100 वर्षों के अंतराल पर है शिखर कुंभाभिषेक का विधान
शास्त्रों के अनुसार सभी सिद्ध प्रतिष्ठित देवालयों में 100 वर्षों के अंतराल पर कुंभाभिषेक करने का वैदिक विधान है। शास्त्रों के अनुसार मंदिर के शिखर में गर्भगृह में स्थापित देवता के प्राणों का निवास होता है। इसीलिए गर्भगृह में देव विग्रह दर्शन की भांति ही शिखर दर्शन को अत्यंत पुण्य फलदायी माना गया है।

31 को नगर प्रवेश यात्रा और एक फरवरी को जलयात्रा   सनातन धर्म इंटर कालेज से दोपहर चार बजे नगर प्रवेश यात्रा माता अन्नपूर्णा मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। एक फरवरी को प्रात: सात बजे मंदिर से दशाश्वमेध घाट तक नव विग्रह की जलयात्रा कराई जाएगी। सर्वप्रायश्चित पंचगव्य प्राशनादि, श्रीगंगा नदी पूजन, तीर्थानयन, सौभाग्यवती स्त्रियों, वैदिक ब्राह्मणों एवं पूज्य संतों द्वरा अयुत मोदक महागणपति हवन, श्रीमहागणपति मूल मंत्र का जाप सहित दश सहस्त्र मोदकों का हवन, श्रीगणेश सहस्त्रनामार्चन, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष सहस्रावर्तन आदि अनुष्ठान होंगे।

अगले दिन माघ शुुक्ल चतुर्थी दो फरवरी को कोटिक कुंकुमार्चन संकल्प, तीन फरवरी को गरु प्रार्थना, श्रीगणेश पूजन, स्वस्ति पुण्याह वाचनादि, महासंकल्प, आचार्य ब्रह्मादि ऋत्विग्वरण अनुष्ठान होंगे। मां की प्रतिमा का मूर्ति संस्कार, बिंबशुद्धि, हवनादि, जलाधिवास कराया जाएगा। चार फरवरी को अधिवास हवन, पंचविंशति कलशों द्वारा महास्वपन होगा। साथ ही वस्त्राधिवास, धान्याधिवास, फलाधिवास आदि कराए जाएंगे। अगले दिन पांच फरवरी को अधिवास हवन, शय्याधिवास, प्रणवादि षोडश तत्त्व न्यास, छह फरवरी को मूलमंत्र न्यास, स्त्रपन कलश स्थापन होगा। इसमें विभिन्न तीर्थों व विभिन्न औषधियों के जल से महाकुंभाभिषेक के लिए कलश स्थापन किया जाएगा। चारों वेदों के मंंत्र पाठ पूर्वक कलशाभिमंत्रण किया जाएगा। मूलमंत्र हवनादि होंगे। सात फरवरी दशमी को शिखर महाकुंभाभिषेक दर्शन एवं तीर्थ प्रसाद वितरण होगा।

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