मिर्जापुर:मां का प्यार बेटे को 35 साल बाद खींच लाया घर

मनोज कुमार राय
मिर्जापुर। मां का प्यार किसी को जीवन भर नहीं भूलता। इसका जीता जगता प्रमाण मिर्जा पुर जिले के जमालपुर निवासी अमरनाथ है। ये घर त्यागने के 35 साल बाद घर आये है। बता दें कई 72 वर्षीय अमरनाथ 1992 में बाबरी मस्जिद गिराने के लिए कारसेवक के रूप में अयोध्या गए थे। कार सेवा के बाद जब घर आये थे तो पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। फिर जेल से छूटने के बाद अयोध्या चले गए और राम में रम गए। प्रयागराज महा कुम्भ में स्नान करने के लिए आये थे। 16 फरवरी रविवार की रात अपने घर पहुंचे। दरवाजे को खटखटाया और आवाज दी।
बेटे की आवाज से ही उनकी 95 वर्षीय वृद्ध मां प्यारी देवी ने अपनी बहू चन्द्रावती से कही कि दरवाजे पर बेटे अमरनाथ की आवाज आ रही है। जाओ जल्द दरवाजा खोलो और उसे अंदर लाओ। पहले तो बहू चन्द्रावती को विश्वास नहीं हुआ किन्तु मां ने 35 वर्ष बाद भी अपने बेटे की आवाज को पहचान ली। मां का दृढ़विश्वास बहू से दरवाजा खुलवाने में सफल हुआ। दरवाजा खुलने के बाद साधू के वेश में अमरनाथ की पहचान हुई। पत्नी चन्द्रावती ने साधू के वेश में खड़े अपने पति अमरनाथ के पैर छूये। एक दूसरे को देख दोनों की आंखें छलक उठी। वहीं मां प्यारी देवी की आंखों से अश्रु धारा बहने लगी।
मां ने कहा कि भगवान राम ने ही हम मां-बेटे का मिलन कराया है। भगवान राम का सदा आभारी रहूंगी। वर्षों बाद अमरनाथ को देखने के लिए दरवाज़े पर तांता लग गया। अमरनाथ ने आपबीती बताते हुए कहा कि एक हफ्ते पहले मैं प्रयागराज महा कुम्भ नहाने आया था। स्वप्न में अपनी मां को देखा और मां से मिलने को मन विचलित हो उठा और उनसे मिलने घर आ गया। जल्द ही वहीं अयोध्या स्थित जानकी घाट चला जाऊंगा। अमरनाथ का एक लड़का 40 वर्षीय अतुल और तीन लड़की कुसुम, सोनिया, मोनू हैं। चन्द्रावती अपने पति अमरनाथ के साथ ही जाना चाहती है। जबकि उन्होंने साथ ले जाने से मना कर दिया है।