हिंदुओं की हर धार्मिक समस्या को सुनकर सुलझाएगा परमधर्म संसद्:शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

पूरे विश्व के सनातनियों के लिए परमाराध्य बनाएंगे सङ्गठन
संजय पांडेय
महाकुंभ नगर। आज के युग में दुनिया सिमटकर एक गाँव के रूप में स्थिर और स्थित हो गयी है। इस वैश्विक परिवेश में लोग कहीं के भी होकर कहीं भी रह रहे हैं। हिन्दू भी अब अपनी भूमि भारत के अतिरिक्त विश्व के लगभग सभी देशों में रह रहा है और अपने धर्म का पालन करते हुए आजीविका कमाना चाहता है।
उक्त बातें परमाराध्य परमधर्माधीश उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्री: अविमुक्तेश्वरानन्द: सरस्वती १००८ ने आज हिन्दू धार्मिक नेतृत्व संरचना। विषय पर व्यक्त करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि विश्व में सर्वत्र वैसी परिस्थिति नहीं है कि हिन्दू धर्म का अनुयायी स्वतन्त्रतापूर्वक अपने धर्म का पालन कर सके। कहीं-कहीं तो उसे अपनी सुरक्षा के लिए छिप-छिपाकर भी धर्मपालन करना होता है और कहीं उसे कठिनाइयां भी आती हैं। ऐसे में विश्व के किसी भी कोने में रह रहा हिन्दू धर्मपालन के मामले में किसी सहायता की अपेक्षा करता है। उसे अपने धर्मगुरुओं से अपेक्षा है। विगत दिनों बांग्लादेश के पीड़ित हिन्दुओं ने इसी कारण ज्योतिर्मठ के शङ्कराचार्य जी से सम्पर्क किया था।
आगे कहा कि अतः परमधर्मसंसद् १००८ एक ऐसी धार्मिक संरचना सुस्थापित करती है। जो विश्व के किसी भी कोने में रहने वाली हिन्दू जनता के धार्मिक साहाय्य के लिए तत्पर रहे। इस संरचना में विश्व स्तर, देश स्तर, प्रदेश स्तर, संसदीय क्षेत्र स्तर, विधानसभा क्षेत्र स्तर, पञ्चायत स्तर और व्यक्ति स्तर तक पहुँच बनाई जाएगी, जिन्हें क्रमशः परमधर्माधीश, प्रवरधर्माधीश, धर्माधीश, धर्माध्यक्ष, धर्मप्रमुख, धर्मांसद, धर्माधायक, धर्मदूत, धर्मवीर या धर्मप्रेमी कहा जाएगा। इनमें से जिस स्तर पर जो लोग पूर्णकालिक रूप से सेवा देना चाहते हैं वे 1008.guru वेबसाइट पर जाकर अपना पञ्जीकरण करा सकते हैं।
आज विषय स्थापना हर्ष मिश्रा जी ने किया। इसी क्रम में नन्दनन्दन जी, रविन्द्र नाथ जी, ब्रह्मचारी तीर्थानन्द जी, अजय शर्मा जी, उमा तिवारी जी, अर्जुन नाथ जी, सञ्जीव वसिष्ठ जी, राजू नाथ जी, साईं जलकुमार मसन्द साहिब जी, अखिलेश प्रताप सिंह जी, किरण माया नन्दा जी, अनुसुईया प्रसाद उनियाल जी, सक्षम सिंह योगी जी, डेजी रैना जी, सञ्जय जैन जी, गोविंद सिंह जी, राहुल सिंह जी, स्वामी दयाशङ्कर दास जी, दंगल सिंह गुर्जर जी, रविंद नाथ होता जी, नचिकेता जितेन्द्र खुराना जी, सुनील कुमार शुक्ला जी, शुभम् सिंह जी, गोपाल पारिदार जी, डा. अजय शर्मा जी, गजेन्द्र सिंह यादव जी, मनीषा उपाध्याय जी, सुरेन्द्र जी, आदर्श पाण्डेय जी, रुद्र प्रताप शुक्ला जी, जयपाल सनातनी जी, रामदास भगत जी, सञ्जय अथपा जी, आदि लोगो ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रकर धर्माधीश के रूप में श्री देवेन्द्र पाण्डेय जी ने संसद् का सञ्चालन किया। सदन का शुभारम्भ जायोद्घोष से हुआ। अन्त में परमाराध्य ने धर्मादेश जारी किया जिसे सभी ने हर-हर महादेव का उद्घोष कर पारित हुआ।