एजुकेशन

कार्यशाला में बताया SWAYAM पोर्टल पर कोर्स बनाने की विधि

वीकेएम में हुई दो दिवसीय कार्यशाला

वाराणसी। वसंत कन्या महाविद्यालय में MOOCs & SWAYAM विषय पर आधारित द्वि-दिवसीय कार्यशाला का आयोजन IQAC सेल द्वारा किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने वर्तमान परिदृश्य में SWAYAM कोर्स के महत्व एवं उसके सफल निष्पादन हेतु शिक्षिकाओं एवं शोधार्थियों को प्रेरित किया। कार्यशाला के प्रथम दिन महाविद्यालय की शिक्षिकायें क्रमशः डाॅ॰ शुभ्रा सिन्हा (मनोविज्ञान विभाग), डाॅ. सुप्रिया सिंह (अंग्रेजी विभाग) एवं डाॅ. आरती चौधरी (प्रा.भा.इ.स. एवं पुरातत्व विभाग) ने प्रस्तुत विषय में व्याख्यान दिए। डाॅ॰ शुभ्रा सिन्हा ने MOOCs & SWAYAM कोर्स की रूपरेखा तथा इसके four quadrant approach को विस्तार से बताया। डाॅ. सुप्रिया सिंह एवं डाॅ. आरती चौधरी ने SWAYAM पोर्टल पर पाठ्यक्रम की विषय-वस्तु को बनाने, उसके सम्पादन और प्रस्तुति सम्बन्धी तकनीकी जानकारी प्रदान की। उन्होंने बताया कि कैसे ‘नैपकिन’ जैसे AI टूल्स के प्रयोग से अपने प्रस्तुतीकरण को अधिक सटीक तथा आकर्षक बनाया जा सकता है।

सत्र के दूसरे दिन प्रो. आशुतोष मोहन, प्रबन्ध शास्त्र संकाय एवं कोर्स कोआर्डिनेटर, SWAYAM, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने SWAYAM पोर्टल पर कोर्स बनाने की विधि, आवेदन की प्रक्रिया, रिकाॅर्डिंग संबंधी जानकारी, मूल्याकंन एवं परीक्षा संबंधी संपादन को विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि SWAYAM पोर्टल पर कोर्स बनाने के लिये यह आवश्यक है कि अपने व्याख्यान में एक ही भाषा का प्रयोग किया जाय, हिंग्लिश का नहीं। उन्होंने रिकाॅर्डिंग के दौरान रखी जाने वाली सावधानियों तथा OER (Open educational resources) के बारे में जानकारी दी। काॅपीराइट विषय पर चर्चा करते हुए creative commons के विषय में भी बताया। कार्यक्रम का संचालन IQAC की को-कोआॅर्डिनेटर डाॅ॰ नैरंजना श्रीवास्तव द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन IQAC की कोआर्डिनेटर डाॅ. शशिकला द्वारा किया गया। इस अवसर पर समस्त शिक्षक/शिक्षिकाओं की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया।

aman

मैंने बतौर पत्रकार कैरियर कि शुरुआत अगस्त 1999 में हिन्दी दैनिक सन्मार्ग से किया था। धर्मसंघ के इस पत्र से मुझे मज़बूत पहचान मिली। अक्टूबर 2007 से 2010 तक मैंने अमर उजाला और काम्पैक्ट में काम किया और छा गया। राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट लांच हुई तो मुझे बुलाया गया। अक्टूबर 2010 से मार्च 2019 तक मैं राष्ट्रीय सहारा वाराणसी यूनिट का हिस्सा था। आज जब दुनिया में बद्लाव शुरू हुआ, चीज़े डिज़िटल होने लगी तो मैंने भी डिज़िटल मीडिया में बतौर सम्पादक अपने कैरियर कि नई शुरूआत दिल इंडिया लाइव के साथ की। इस समय में हिंदुस्तान संदेश में एडिटर हूं। मेरा यह प्लेट्फार्म किसी सियासी दल, या किसी धार्मिक संगठन का प्रवक्ता बन कर न तो काम करता है और न ही किसी से आर्थिक मदद प्राप्त करता है।

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